Pcmc News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में भाजपा और मनसे राज ठाकरे का गठजोड फाइल स्टेज पर पहुंच चुका था। नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से राज ठाकरे मिलकर मुंबई की एक लोकसभा सीट बाला नांदगावकर के लिए मांगी। साथ ही एक राज्यसभा और एक विधान परिषद की सीट पर बात तय हो गई थी। बदले में मनसे राजठाकरे भाजपा को महाराष्ट्र में अपना समर्थन देगी और चुनावी प्रचार करेगी। ऐसा तय होने पर उत्तर भारतीयों का गुस्सा भाजपा के प्रति फट पड़ा। पुणे,मुंबई से लेकर यूपी-बिहार तक विरोध शुरु हो गया। उत्तर भारतीयों की मुंबई में पिटाई और परप्रांतीय यूपी-बिहार चले जाओ… का जख्म एक बार फिर ताजा हो चला। भाजपा के हाथ पैर फूल गए,कई सीटों पर डेंट लगने की संभावना उत्पन्न होने लगी,भाजपा ने अपना कदम पीछे खींच लिया, गठजोड की बात पर ब्रेक लगा दिया। चोर दरवाजे से रास्ता निकाला गया कि राज ठाकरे अपना बाहर से समर्थन करेंगे। कल राज ठाकरे ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया। लेकिन पिछले चुनाव की तरह हास्यपद वाली बात देखने को मिलेगी …बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना…मतलब मनसे का एक भी उम्मीदवार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा,लेकिन चुनावी बारात में नाचते हुए दिखेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मनसे का कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं था। लेकिन राज ठाकरे ने बडी बडी रैलियां की और भाजपा के विरोध में खूब जहर उगला। लेकिन बदली हुई परिस्थिति में राजठाकरे भाजपा की कंठी माला लेकर जाप कर रहे हैं।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव के लिए महायुति का समर्थन करते हुए राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। राज ठाकरे ने कहा कि मनसे के चुनाव चिन्ह वाले रेल इंजन पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मनसे अपने निशान पर चुनाव लड़ेगी।पिछले कुछ दिनों से जिस भूमिका ने महाराष्ट्र सहित पूरे देश का ध्यान खींचा है, उसकी घोषणा आज की गई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव में महायुति को समर्थन देने का ऐलान किया है। शिवाजी पार्क में आयोजित पार्टी की गुड़ी पड़वा बैठक में राज ठाकरे ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी के लिए महायुति का समर्थन कर रहे हैं। इस मौके पर राज ठाकरे ने अगले छह महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अपना रुख साफ किया।
राज ठाकरे के बयान के मायने?
गुडी पाडवा के मौके पर आयोजित शिवाजी पार्क में राज ठाकरे के बयान का मतलब यह है कि भले ही उन्होंने लोकसभा में बीजेपी-शिवसेना-राष्ट्रवादी पार्टी के महागठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया है, लेकिन कल विधानसभा में एमएनएस उम्मीदवार बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ेंगे। वह मनसे के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे। इसलिए राज ठाकरे ने साफ किया कि मनसे उम्मीदवारों के लिए अन्य सिंबल पर चुनाव लड़ना कभी संभव नहीं होगा। राज की दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद से ही चर्चा थी कि मनसे बीजेपी के सिंबल पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है।
राज ठाकरे ने ऐसा क्यों कहा कि मनसे के चुनाव चिन्ह रेल इंजन से कोई समझौता नहीं करेंगे। इसके क्या मायने हैं? राजनीतिक गलियारों से जो बातें छनकर निकल रही है,वो यह है कि अमित शाह से मुलाकात के दौरान राज ठाकरे को अपनी मनसे पार्टी को भाजपा में विलय करने का प्रस्ताव दिया गया था। जिसको राज ठाकरे ने ठूकरा दिया,लेकिन भाजपा के लिए चुनावी प्रचार के लिए कुछ शर्तों के साथ राजी हो गए।
बदले में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री पद समेत जो भी चाहे मिलेगा,ऐसा ऑफर दिया गया। लेकिन राज ठाकरे कोई कच्चे खिलाडी तो हैं नहीं! ये वो शेर हैं जो कभी रिंग मास्टर के पिंजरे में कैद होकर रहना पसंद नहीं करेगा। मनसे और और खुद का अस्त्तिव बचाने की चुनौति को राज ठाकरे झेल रहे हैं। भाजपा ने दाना जरुर डाला मगर राज ने चुंगना पसंद नहीं किया। हलांकि भाजपा इस बात में सीरियस नहीं थी,एक पांसा फेंका था और दूसरे रुप में समर्थन मांगकर बाहर से प्रचार करने पर समझौता की डील पक्की कर ली। बदले में राज ठाकरे को क्या मिला होगा? यह बताने की जरुरत नहीं,पब्लिक है सब जानती है। राज का राज है राज ही रहने दो।