Pcmc News पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) मुला नदी कायाकल्प परियोजना के पहले चरण के लिए 310 पेड़ प्रभावित होंगे जो पिंपरी-चिंचवड़ नगरपालिका सीमा से होकर बहती है। नगर निगम ने दावा किया है कि उन पेड़ों को फिर से लगाया जाएगा। इसलिए, लगाए गए वृक्षों में से कोई भी जीवित नहीं रहता है। इसलिए नगर निगम को पेड़ों को बचाना चाहिए और नदी सुधार परियोजना को लागू करना चाहिए। नहीं तो पर्यावरणविदों ने कड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
मुला नदी पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे नगरपालिका सीमा से होकर बहती है। दोनों नगरपालिका सीमाओं में इस नदी की कुल लंबाई 44.40 किमी है। पिंपरी-चिंचवाड़ नगरपालिका सीमा के अंतर्गत मुला नदी के किनारे की लंबाई लगभग 14.20 किमी है। नगरपालिका सीमा के माध्यम से चलने वाली मुला नदी पुनरोद्धार परियोजना का पहला चरण शुरू किया जाएगा। वाकड बायपास से स्पाइसर कॉलेज-सांगवी ब्रिज तक 8.80 किमी के पहले चरण के काम पर 276 करोड़ 54 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।नदी के किनारे कई पुराने, दुर्लभ पेड़-पौधे हैं। सभी पेड़ों की गिनती की जा चुकी है और स्पष्ट है कि अलग-अलग प्रजातियों के एक हजार छोटे-बड़े पेड़ हैं। नदी पुनरोद्धार परियोजना कार्य के कारण 310 पेड़ प्रभावित हो रहे हैं। उन पेड़ों को नदी तट पर ही फिर से लगाया जाएगा। निगम का दावा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए दो हजार 700 नए देसी पेड़ लगाए जाएंगे।
दूसरे चरण के लिए 250 करोड़
मुला नदी कायाकल्प परियोजना का दूसरा चरण सांगवी से बोपखेल तक 5.40 किमी की दूरी पर लागू किया जाएगा। इसका दापोडी में कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग (सीएमई) का 2.50 किमी का क्षेत्र है। इस प्रोजेक्ट पर करीब 250 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।शहर में लगातार पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। अनुमति से अधिक पेड़ काटे जा रहे हैं। उद्यान विभाग इसकी अनदेखी कर रहा है। अब नदी सुधार के नाम पर पेड़ों को काटा जा रहा है। कोई भी प्रतिरोपित पेड़ जीवित नहीं रहता है। नगर निगम पेड़ों को बचाकर नदी सुधार परियोजना लागू करे। हम पुन: रोपण के नाम पर पेड़ों को हटाने का कड़ा विरोध करते हैं। पेड़ नहीं हटाए गए तो धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।