Up News रामपुर (व्हीएसआरएस न्यूज) उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में रामपुर की स्वार टांडा सीट से अपना दल के शफीक अंसारी की जीत हो गई है। बीजेपी गठबंधन से अपना दल के शफीक अंसारी ने समाजवादी पार्टी की अनुराधा चौहान को 9734 वोट के अंतर से हरा दिया है। इस चुनाव में अपना दल के शफीक को 67434 वोट मिले और अनुराधा को 57710 वोट हासिल हुए। इसी जीत के साथ भाजपा गठबंधन ने आजम खान का मजबूत किला ध्वस्त कर दिया है।
अपने बेटे की सीट को बचाने के लिए आजम खान की ओर से खेला गया हिंदू कार्ड भी उपचुनाव में विफल साबित हुआ। स्वार की जनता ने आजम परिवार को छोड़ इस बार अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) पार्टी को जिताया। बता दें कि अनुप्रिया केंद्र की मोदी सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री हैं। बीजेपी से गठबंधन के बाद स्वार सीट अपना दल के हिस्से में आई थी। इस सीट पर फतह हासिल करके आजम के आखिरी किले को भी ढहा दिया गया है। या कहें कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने आजम खां का सियासी खेल पूरी तरह से खत्म कर दिया। क्योंकि इससे पहले रामपुर लोकसभा सीट के बाद विधानसभा क्षेत्र में भी बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सूबे में यह आजम के सियासी युग का अंत है?
दरअसल, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही आजम खान की मुश्किलें ऐसी बढ़ीं कि उन्हें जेल और अदालतों के चक्कर ही नहीं लगाने पड़े, बल्कि अपनी विधानसभा सदस्यता भी गंवानी पड़ गई। हेट स्पीच मामले में आजम को कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई, इसके बाद उनकी विधायकी रद्द कर दी गई। इसके बाद रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव कराया गया जिसमें वह अपने उम्मीदवार को जीत नहीं दिला सके। रामपुर में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने 34 हजार मतों से जीत दर्ज की थी।
रामपुर में मिला पहला झटका
बता दें कि रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 131116 वोट पड़े थे। इसमें बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना को 81371 वोट मिले, जबकि सपा उम्मीदवार आसिम रजा को 47271 वोट मिले हैं। इस तरह से आकाश सक्सेना 34136 वोटों ने जीत हासिल करने में कामयाब रहे इसी के साथ मुस्लिम बहुल रामपुर विधानसभा सीट पर पहली बार भाजपा ने कमल खिलाया और पहली बार हिंदू समुदाय की विधायक भी बना दिया। आजम खान और सपा की मुस्लिम सियासत के लिए रामपुर की हार किसी बड़े झटके से कम नहीं थी।
10 बार आजम खुद विधायक रहे
आजम खान पिछले 45 साल से रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ते आ रहे थे। 10 बार आजम खुद विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी तंजीन फातिमा उपचुनाव में जीती थीं। रामपुर उपचुनाव में इस बार भले आजम खां खुद चुनाव नहीं लड़ रहे थे, लेकिन अपने सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर आसिम रजा को पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा रहे थे। आसिम रजा को जून में हुए रामपुर लोकसभा चुनाव में भी आजम खां ने लड़ाया था, लेकिन जीत नहीं सके थे। इसके बाद विधानसभा सीट पर भी प्रत्याशी बना दिया था। लेकिन हार से तगड़ा झटका मिला।