National News नई दिल्ली (व्हीएसआरएस न्यूज) कैसे बजरंग दल ने कर्नाटक में बनवा दी कांग्रेस की सरकार और बीजेपी के साथ हो गया खेल,कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल और पीएफआई को बैन करने की घोषणा की। ये कांग्रेस की बड़ी चाल थी क्योंकि उसे भी पता है कि राज्य में सरकार बनने के बाद भी बजरंग दल को बैन नहीं कर सकती है।
कर्नाटक चुनाव के अब तक जो नतीजे सामने आए हैं उससे तीन बातें साफ हो चुकी हैं। कांग्रेस अपने बूते(136) आसानी से सरकार बनाने जा रही है और बीजेपी काफी अंतर से दूसरे नंबर(64) पर रहेगी। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किंगमेकर बनने का इरादा रखने वाले जेडी(एस-20) के कुमारस्वामी को भी जोर का झटका लगा है। 5 बजे तक जो रुझान सामने आए हैं, उसमें बीजेपी 63, कांग्रेस 137 और जेडी(एस) 20 और अन्य 4 सीटों पर जीतती दिख रही हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजों के मुकाबले बीजेपी और जेडीएस को जितनी सीटों का नुकसान हो रहा है, कांग्रेस को उतना ही फायदा होता दिख रहा है। पिछले विधानसभा में बीजेपी को 104, कांग्रेस 80 और जेडी (एस) को 37 सीटें मिली थीं।
हिमाचल प्रदेश के बाद चार महीने के भीतर बीजेपी ने दूसरा राज्य गंवाया है। हार के कारण और परिस्थितियां भी कमोबेश एक जैसी रही हैं। बसवराज बोम्मई सरकार की कमियों पर फोकस करते हुए कांग्रेस उसकी छवि 40% कमिशन वाली सरकार के रूप में पेश करने में सफल रही। कांग्रेस ने जो पांच वादे किए, उसका भी असर नतीजों पर साफ दिख रहा है। लेकिन, कांग्रेस के एक दांव की चर्चा कम हो रही है, जो बीजेपी पर भारी पड़ गई। धुव्रीकरण की राजनीति बीजेपी की ताकत मानी जाती है, लेकिन इस बार इसके पत्ते कांग्रेस ने ज्यादा अच्छे से खेले और बीजेपी ट्रैप में फंस गई।
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल और पीएफआई को बैन करने की घोषणा की। ये कांग्रेस की बड़ी चाल थी क्योंकि उसे भी पता है कि राज्य में सरकार बनने के बाद भी बजरंग दल को बैन नहीं कर सकती है। किसी संगठन को बैन करने का अधिकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है और राज्य सरकार प्रतिबंधित नहीं कर सकती। दूसरी जो जरूरी बात है कि पीएफआई पहले से प्रतिबंधित है। केंद्र सरकार ने पीएफई को पिछले साल सितंबर में ही बैन कर दिया था। तो क्या कांग्रेस अनजाने में घोषणा पत्र में ऐसी बात डाली थी। नहीं, यही उसकी चालाकी थी।
कर्नाटक का सीएम कौन होगा? विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है। कांग्रेस ने चुनाव से पहले सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया था, ऐसे में पार्टी को कर्नाटक में मिली जीत के बाद सीएम चेहरे पर सस्पेंस बना हुआ है। बताया जा रहा है कि विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशी प्रस्ताव पास कर आलाकमान पर यह फैसला छोड़ सकते हैं। दरअसल, कांग्रेस में सीएम पद के लिए सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। जहां डी के शिवकुमार कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष हैं, तो वहीं पूर्व सीएम सिद्धारमैया कर्नाटक के बड़े नेता माने जाते हैं। ऐसे में दोनों में से एक को चुनना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।
विधायक दल की बैठक में पास होगा प्रस्ताव
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कांग्रेस की तरफ से भेजे गए केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायक दल के नेता पर सुझाव लेंगे। सभी विधायक एक लाइन का प्रस्ताव पारित करेंगे कि कांग्रेस आलाकमान तय करे सीएम कौन होगा? इसके बाद आलाकमान सीएम पद पर फैसला करेगा। इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा, जो मैंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से वादा किया था, वो मैंने निभा दिया। मैं अखंड कर्नाटक की जनता से उनके पैरों में पड़कर आशीर्वाद मांगता हूं और उन्हें समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। लोगों ने हमपर विश्वास किया और वोट दिया। मैं नहीं भूल सकता, जब सोनिया गांधी मुझसे मिलने के लिए जेल आई थीं। मैं विश्वास दिखाने के लिए गांधी परिवार और सिद्धारमैया समेत सभी पार्टी नेताओं का धन्यवाद करता हूं।