पुणे में रेहिंग्या मुस्लिमों पर पुलिस ने भांजी लाठी,फिर भी लूटेरों से फूटपाथ नहीं हुए खाली
पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे रेलवे स्टेशन के सामने और ससून हॉस्पिटल परिसर के फूटपाथों पर इन दिनों रोहिंग्या मुस्लिमों का कब्जा है। वहीं खाना बनाते है वहीं शराब के नशे में धूत्त रहते है,वाईटनर जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करते है,दिन में सोते है और रात में लूटपाट के लिए जागते है। रात के समय ट्रेन पकडने के लिए जाने वाले यात्रियों को विशेष रुप से टारगेट करते है क्योंकि उसके पास इतना वक्त नहीं होता कि ट्रेन को छोडकर इनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा सके।
8 दिन पहले एक महिला एक पुरुष जो घोडेगांव में मजदूरी करके अपना पेट भरते थे। उनको रात के समय 8.45 बजे पुणे- पटना गाडी पकडना था। बंडगार्डन परिसर से पुणे रेलवे स्टेशन की ओर पैदल जा रहे थे। ये फूटपाथी रोहिंग्या लूटेरों ने लूटा। हलांकि वे गाडी पकडकर चले गए और पटना पहुंचने के बाद अपने किसी परिचित को पुणे फोन करके आपबीती बतायी। यह बात पुणे के पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता और डीसीपी तक पहुंची। पुलिस फोर्स ने बंडगार्डन परिसर के फूटपाथों को जबरन खाली कराके खदेडने का काम किया। लेकिन ये लोग ससून से आंबेडकर भवन और रेलवे स्टेशन से मालधक्का की सडकों के फूटपाथों पर कब्जा जमा लिया। इनकी संख्या लगभग 200 से अधिक है।
पुणे मनपा प्रशासन अपने कब्जा वाले फूटपाथों को कब मुक्त कराएगी? शहर के करदाताओं के पैसों से तैयार फूटपाथ पैदल जाने वाले राहगिरों के लिए बनाया गया है या फिर चोर लूटेरों,भिखारियों द्धारा कब्जा करके अस्थायी बसेरा बनाने के लिए तैयार किया जाता है। ससून हॉस्पिटल,रेलवे परिसर,जिलाधिकारी कार्यालय समेत कई सरकारी,गैर सरकारी सार्वजनिक संस्थान इस परिसर में होने की वजह से लोगों का आना जाना लगा रहता है। दूरदराज से लोग बसों,ट्रेनों से उतरकर इन कार्यालयों में पैदल जाते है फिर बस अड्डों,रेलवे स्टेशनों की ओर फूटपाथ से आवाजाही करते है। अगर फूटपाथ पर भिखारियों,लूटेरों,चोरों,जेब कतरों का कब्जा होगा तो आम जनता को मजबूरी में सडकों पर चलकर जाना होता है जो जोखिम भरा होता है। दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। अगर यही राहगिर रात के समय इन फुटपाथों से गुजरते है तो लूट लिए जाते है।
पुणे मनपा प्रशासन की जवाबदेही बनती है कि अपने शहरवासियों,करदाताओं को चलने के लिए फूटपाथ को मुक्त कराएं। पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वो हर आम जनता की जान माल की रक्षा करे,सुरक्षा करे। पुलिस इन लोगों को गिरफ्तार करें और जांच करें कि ये भारत के नागरिक है या नहीं। कहीं घुसपैठिए तो नहीं है?सीमा पार से वेश बदलकर कहीं किसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए तो नहीं आए है। अगर भारत के नागरिक है तो उनके पास कोई न कोई प्रमाण अवश्य होना चाहिए। ऐसी सूरत में मानवता यह कहती है कि सबको जीने खाने का अधिकार है। इनका पुर्नवसन योग्य जगह पर होना चाहिए जहां किसी को कोई तकलीफ न हो।