अयोध्या । व्हीएसआरएस न्यूज़ : अयोध्या में जमींन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राम मंदिर के लिए जमीन खरीद को लेकर एक नया विवाद सामने आया है,जिसमें मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण की भूमिका संदिग्घ पायी गई है। इस मामले पर अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य ने आरोप लगाया है कि मेयर खुद उनसे राम मंदिर के नाम पर जमीन मांगने आए थे। हालांकि मेयर ने इन आरोपों को खारिज किया है।
अयोध्या में राम मंदिर के लिए खरीदी गई जमीन को लेकर एक नया विवाद सामने आया है,जिसमें मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय की भूमिका सामने आ रही है। इस मामले पर अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य ने आरोप लगाया है कि मेयर खुद उनसे राम मंदिर के नाम पर जमीन मांगने आए थे। हालांकि मेयर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
महंत बृजमोहन दास का दावा
अयोध्या के महंत बृजमोहन दास ने महंत देवेंद्र दास पर बडा आरोप लगाते हुए कहा कि जो जमींन रामलला ट्रस्ट को देवेंद्र दास ने बेची उस जमींन पर उनका कब्जा था। उनके गुरु महंत रामआसरे दास पहले खेती करते थे फिर उनसे जमींन मिली और मैं खेती करता था। यह जमींन मेरे कब्जे दखल में थी। अयोध्या एडीएम संतोष कुमार सिंह उनके पास आए थे और जमींन खाली करने के लिए कहा। जब मैंने जमींन खाली करने से इंकार कर दिया तो वे बताए कि यह जमींन राम मंदिर ट्रस्ट को दी जा रही है। इस जमींन पर मंदिर का कुछ कार्य होगा। यह जमींन 135 नंबर में 10 बिस्सा है। रामजी के कार्य के लिए मैंने 7 बिस्सा जमींन राम मंदिर ट्रस्ट को दे दी थी। इसी जमींन को देवेंद्र दास ने ट्रस्ट को कितने में बेचा इस बारे में जानकारी नहीं। वर्तमान में यह जमींन राम ट्रस्ट के उपयोग में आ रही है। यह बात गलत है कि यह जमींन महंत देवेंद्र दास की थी। ऐसा खुलासा महंत बिराज मोहन दास ने किया। अब इस जमींन पर अधिकार किसका है? यह बडा सवाल है। इतना अवश्य है कि इन दिनों अयोध्या जमींन धांधली मामलों में सुर्खियों पर है।
हमने रामजी के लिए दे दी जमीनः महंत
अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य ने बताया कि राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से उनसे कोई नहीं मिला था, मेयर ही उनसे मिले थे। उन्होंने बताया, ट्रस्ट ने हमसे सीधे संपर्क नहीं किय। मेयर ऋषिकेश उपाध्याय मिले थे। हमसे कहा गया कि रामलला ट्रस्ट को जरूरत है तो हमने कहा कि ले लें। हमें लगा कि वो ट्रस्ट से अधिकृत हैं। इसलिए राम जी के लिए हमने जमीन दे दी।
उन्होंने आगे कहा,उन्होंने कैसे जमीन को 2.5 करोड़ में बेच दिया ये मेरी समझ से परे है। अगर इतनी महंगी ट्रस्ट को बेच रहे थे,हमें भी उस हिसाब से देना चाहिए था। उन्होंने कहा भगवान के नाम पर पैसों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। ये गलत है। अयोध्या में राम जी जानें कि क्या हो रहा है? राम जी के नाम पर जो ठगेगा,उसे राम जी ही देखेंगे। भगवान सबको सद्बुद्धि दे कि उनके पैसे का दुरुपयोग न हो।
मैं महंत से मिलने नहीं गया-मेयर
वहीं मेयर ने महंत के लगाए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने बताया कि वो एक-दो दिन में जवाबों के साथ हाजिर होंग। उन्होंने कहा मैं महंत से मिलने नहीं गया था। ये मुझ पर राजनीतिक वार है। मैं कोर्ट में इन आरोपों का जवाब दूंग। भतीजे दीप नारायण उपाध्याय की भूमिका पर मेयर ने कुछ नहीं कहा। मेयर ने बस इतना कहा कि किसी ने गड़बड़ी की होगी तो कार्रवाई होगी।
महंत राजू दास का पक्ष
अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने घोटाले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस व्यवहार 1 करोड़ 8 आठ लाख साठ हज़ार टैक्स सरकार को भरा गया है व ज़मीन की ख़रीदी सरकारी नियमानुसार हुआ है तो विवाद का कोई अर्थ ही नहीं रहता है ।
क्या है पूरा मामला?
मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय ने 20 फरवरी 2021 को अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य से 135 से 890 वर्ग मीटर की जमीन 20 लाख रुपए में खरीदी थी। 3 महीने बाद 11 मई 2021 को दीप नारायण ने इसी जमीन को राम मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ रुपए में बेच दिया। इतना ही नहीं, मेयर के भतीजे ने एक 676.86 वर्ग मीटर की एक और जमीन 27 लाख में खरीदी और इसे 1 करोड़ में ट्रस्ट को बेच दी।
जमीन को लेकर भी एक विवाद?
हालांकि 890 वर्ग मीटर की जो जमीन 2.5 करोड़ में बेची गई है,वो महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य से खरीदी गई थी। ये जमीन नजूल की यानी सरकारी थी। इस पर महंत का कब्जा था। हालांकि जमीन को बेचने से पहले फ्री होल्ड किया गया था या नहीं,ये अभी साफ नहीं है। दूसरी बात ये कि फ्री होल्ड कराने के लिए कब्जा धारक को सरकार को निर्धारित धनराशि देनी होती है, इस केस में वो हुआ था कि नहीं, ये भी साफ नहीं है।