श्रीनगर। व्हीएसआरएस न्यूज: वेयान यूं तो भारत के पिछड़े गांवों में गिना जाने वाला उत्तरी कश्मीर में दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा गांव माना जाता है लेकिन कोरोना टीकाकरण के मामले में यह सबसे आगे है। गांव में 18 आयु वर्ग के पार काे अब ऐसा काेई नहीं जिसने काेरोना वैक्सीन की पहली या फिर दोनों डोज न ली हों।
इस उपलब्धि ने इस गांव को देश का पहला गांव बना दिया है। इसका श्रेय जम्मू-कश्मीर में अपनाए गए टीकाकरण के मॉडल को जाता है। इस मॉडल के तहत प्रशासन ने ग्रामीणों के टीकाकरण केंद्र में पहुंचने तक इंतजार करने के बजाय उन तक खुद पहुंच, टीका लगाने की कार्य योजना पर काम किया।
मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठन का मजबूत किला कहलाने वाले बांडीपोर के इस गांव वेयान की लगभग 99वें फीसद आबादी गुज्जर-बक्करवाल समुदाय पर आधारित है। इनमें से अधिकांश घुमंतु हैं जो अकसर गर्मियों में अपने माल मवेशी के साथ उच्चपर्वतीय इलाकों में डेरा लगाते हैं। गांव में इंटरनेट की सुविधा, सड़क, पेयजल नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है, क्योंकि आतंकवाद के चलते गांव में विकास की बयार पूरी तरह नहीं फल-फ़ूल सकी है।
एलओसी के साथ सटे जिला बांडीपोर मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर बसे वेयान में प्रत्येक बालिग को टीका लगाए जाने की पुष्टि करते हुए चीफ मेडिकल आफिसर बांडीपोर डॉ बशीर अहमद खान ने कहा इस गाांव में पहुंचने के लिए हमारे लोगों को रोजाना 18 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता था। यह गांव एक पहाड़ी पर बसा हुआ है। शुरु के 10 किलोमीटर तक ही सड़क है। आगे के 18 किलोमीटर की यात्रा के दौरान आपको पहाड़, नाले और जंगल से गुजरना पड़ता है। यह खानाबदोशों का एक गांव है जहां इंटरनेट की भी पहुंच नहीं है, इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस उत्तरी कश्मीर गांव में एक कठिन यात्रा करने और कीमती जीवन बचाने का फैसला किया।
डॉ. बशीर अहमद खान ने बताया कि यहां जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है और यहां तक जाने के लिए सिर्फ एक दुर्गम रास्ता ही है, लेकिन हमने तब तक आराम नहीं किया जब तक कि अंतिम पात्र व्यक्ति को वैक्सीन की खुराक नहीं मिल गई। डॉ. बशीर अहमद खान ने आगे कहा कि गांव बांदीपोरा शहर से 28 किलोमीटर की दूरी पर है|
जिसमें प्रारंभिक 10 किलोमीटर की यात्रा सड़क मार्ग से अठवाटू नामक स्थान तक है और फिर 18 किलोमीटर पहाड़ी रास्ता है जो कि केवल पैदल ही तय किया जा सकता है। वैक्सीनेशन ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी तमाम कठिनाइयों के बावजूद वेयान गांव तक पहुंचे। गांव में कुल 362 लोगों को टीका लगाया गया है।
क्या है जम्मू-कश्मीर का टीकाकरण मॉडल
इस बारे में जम्मू-कश्मीर के इम्यूनाईजेशन अधिकारी डॉ शाहिद हुसैन ने बताया कि हमारा टीकाकरण मॉडल 10 बिंदुओं पर आधारित है। इसमें टीकाकरण योग्य आबादी तक पहुंच बनाने के लिए पहले बूथ स्तर पर प्रयास किया गया। उसके बाद दूरदराज की आबादी के लिए वैक्सीन ऑन व्हील्स का अभियान चलाया गया। इसके साथ हमने एक दिन में यथा संभव अधिकतम जगहों पर पहुंचकर ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए टीकाकरण के सत्र आयोजित किए।
हमने प्रत्येक टीकाकरण स्थल पर जाने से पहले उसकी माइक्रो प्लानिंग की और इसमें पुलिस व मीडिया की मदद भी ली। प्रत्येक जिले में डाॅक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के टीकाकरण के लिए विशेष दल तैयार किए। इनमें उन्हीं स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया गया जाे स्वेच्छा से अवकाश के दिन भी काम करने को तैयार थे। हमनेे विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों जिनमें अध्यापक और बूथ स्तरीय अधिकारी व ग्राम सेवक शामिल हैं, की मदद भी ली। इन लोगों को पहले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय ने प्रशिक्षण प्रदान किया था।
जम्मू कश्मीर में 45 पार के 72 फीसद लोगों को लग चुकी है वैक्सीन
आपको बताते चले की जम्मू कश्मीर में 45 के पार की लगभग 72 फीसद आबादी का टीकाकारण हो चुका है। जम्मू, शोपियां और गांदरबल में सौ फीसद टीकाकरण हो चुका है। सांबा जिले में 98.37 फीसद लोग टीका लगवा चुके हैं। हालांकि कश्मीर घाटी में कोरोना वैक्सीन को लेकर फैली विभिन्न भ्रांतियों के चलते कश्मीर में टीकाकरण की गति बहुत धीमी थी,लेकिन बीते 20 दिनों के दौरान इसने जोर पकड़ लिया है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा लगातार कोरोना टीकाकरण की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने सभी जिला उपायुक्तों और वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को टीकाकरण में तेजी लाने का निर्देश देते हुए कहा था कि उनकी क्षमता और योग्यता का आकलन कोविड प्रबंधन और टीकाकरण में उपलब्धियों के आधार पर ही होगा।