मांझागढ़ । व्हीएसआरएस संवाददाता: भैसहीं के दुर्गा मंदिर परिसर में चल रहे विश्व शांति महायज्ञ के अंतिम दिन कथा वाचिका ने श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता की कथा सुनाते हुए कहा कि इससे हमें और समाज को सीख मिलती है। विषम परिस्थिति में भी मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए। श्रीमद्भागवत में कहा कि जीवन में माता पिता और गुरु के बाद मित्र को विशेष स्थान दिया गया है।
मित्र हमारे सुख-दुख के साथी होते हैं। किसी भी परिस्थिति में मित्र हमेशा साथ खड़े होते हैं। कृष्ण और सुदामा के बीच मित्रता की कथा में हमें मित्र के प्रति ईमानदारी, त्याग और सम्मान का भाव दिखाई देता है। जब कभी मित्रता की बात होती है तो कृष्ण और सुदामा की मिसाल दी जाती है। जब कृष्ण बालपन में ऋषि संदीपन के यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राम्हण परिवार में पैदा हुए थे। परंतु दोनों की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है। शिक्षा-दीक्षा समाप्त होने के बाद भगवान कृष्ण राजा बन गए वहीं दूसरी तरफ सुदामा के बुरे दौर की शुरुआत हो चुकी थी। खाने तक के मोहताज सुदामा की पत्नी ने उन्हें राजा कृष्ण से मिलने जाने के लिए कहा। द्वारिकाधीश ने जैसे ही द्वारपाल से सुदामा का नाम सुना तो नंगे पैर मित्र की आवा भगत करने पहुंच गए। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर सुदामा में क्या विशेषता है कि भगवान स्वयं उनके स्वागत में दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पैर पखारे। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। इसके साथ महाआरती की गई।
यज्ञ समापन समारोह पर प्रवचन कर्ता श्रीजी प्यासी कथा वाचक धर्मेंद्र महाराज यज्ञकर्ता विनय बाबा को यज्ञ समिति के अध्यक्ष सुमन कुमार यादव ने विदाई समारोह पर गिफ्ट देकर सम्मानित किया। यज्ञ समापन के बाद मेला कमिटी के सदस्य गण जितेंद्र यादव, राकेश यादव, उपेंद्र यादव, श्रीकांत यादव, प्रिंस जी, अभिषेक कुमार, पंकज रजक, सरदीप कुमार को राजेंद्र यादव, सुमन यादव ने अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।