बैकुंठपुर| व्हीएसआरएस संवाददाता: जिले के पांच प्रखंडों के दस हजार से अधिक परिवार बाढ़ की त्रासदी को लेकर सारण मुख्य तटबंध व जमीदारी बांध पर शरण ले रहे हैं। घरों में बाढ़ का पानी अभी भी बहने के कारण विस्थापित परिवार घर लौटने की स्थिति में नहीं है। गोपालगंज सदर, माझागढ़, बरौली, सिधवलिया तथा बैकुंठपुर प्रखंडों के 42 गांव गंडक नदी के निचले हिस्से में बसे हैं। इन गांव के करीब सात हजार से अधिक की आबादी बुधवार को पांचवें दिन भी तबाही से जूझती रही।
कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें तटबंध पर रहने के लिए जगह तक नहीं मिल पाई है। ऐसे परिवार बाढ़ के पानी में मचान बनाकर रहने को मजबूर हैं। इन परिवारों को घर से तटबंध तक आने के लिए भी नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ पीड़ितों को नाव के अलावा अन्य किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। अंचल कार्यालय की ओर से बाढ़ प्रभावित परिवारों को रोशनी की सुविधा मुहैया कराने का दावा किया जा रहा है।
लेकिन हकीकत यह है कि तटबंध पर बिजली की रोशनी के सहारे ही बाढ़ पीड़ितों को रात गुजारनी पड़ रही है। बिजली गुल होने की स्थिति में अंधेरे में कीड़े मकोड़े का डर सता रहा है। तटबंध पर हिलोरे ले रही गंडक नदी की धारा हमेशा अप्रिय घटना का संकेत दे रही है। छोटे बच्चे, मवेशी सहित अन्य लोगों को बड़े बुजुर्ग सुरक्षित रख रहे हैं।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में सर्पदंश की हो रही घटनाएं
बैकुंठपुर। जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ती जा रही है। पिछले 24 घंटे के दौरान बैकुंठपुर प्रखंड में पांच, सिधवलिया में दो, माझागढ़ में चार लोग सर्पदंश से पीड़ित हो चुके हैं। हालांकि सड़कों से पीड़ित लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है। वे खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि बाढ़ के पानी में बहकर आए पहाड़ी व विषैले सांप उनके लिए आफत बन चुके हैं। तटबंध पर शरण लेने के बावजूद वे सर्पदंश की घटना का शिकार हो रहे हैं। गांवों की दूरी प्रखंड मुख्यालय से अधिक होने की स्थिति में अस्पताल पहुंचने में लोगों को विलंब हो रहा है। ऐसे में सर्पदंश से मौत की आशंका भी बढ़ती जा रही है।
कम्युनिटी किचन नहीं चलने से बाढ़ पीड़ित बेहाल
बैकुंठपुर। जिले के सदर प्रखंड को छोड़कर अन्य प्रखंडों में अभी तक सामुदायिक रसोई की व्यवस्था प्रशासनिक स्तर पर नहीं की जा सकी है। कई ऐसे गांव हैं जहां लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है। पकहां, शीतलपुर, सलेमपुर, आशा खैरा, बिन टोली, प्यारेपुर, महारानी, बंजरिया, सलेमपुर गांवों में दर्जनों ऐसे परिवार हैं जिनका चूल्हा- चौका, जलावन, अनाज सब कुछ तेज धार में बह गया है। मेहनत- मजदूरी करने के लिए अनुकूल मौसम नहीं होने के कारण भोजन पर भी आफत हो चुके हैं. ऐसे परिवार के लोग सरकारी स्तर पर सामुदायिक रसोई की मांग कर रहे हैं।
बरौली प्रखंड में दो सौ परिवार अभी भी हैं विस्थापित
बैकुंठपुर। जिले के बरौली प्रखंड के सलेमपुर गांव में बाढ़ से दो सौ परिवार अभी भी विस्थापित हैं। इस प्रखंड का महज एक गांव ही बाढ़ प्रभावित है। बाढ़ पीड़ितों को सरकारी स्तर पर प्लास्टिक के अलावे अब तक अन्य किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं कराई जा सकी है। बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि सरकारी स्तर पर मिलने वाली सहायता राशि उनके खाते में ट्रांसफर नहीं की जा सकी है। 15 जून के बाद से अब तक ढाई महीने की अवधि में चार बार वे बाढ़ की त्रासदी झेल चुके हैं। लेकिन सहायता राशि नहीं मिल पा रही है।
बाढ़ के पानी से सिधवलिया के आठ सौ परिवार विस्थापित
सिधवलिया । बाढ़ का पानी सिधवलिया प्रखंड के निचले इलाके के तीन गांव बंजरिया सलेहपुर और रमपुरवा में प्रवेश करने के पचावे दिन सैकड़ों विस्थापित परिवार छरकी और शरण स्थली सरकारी स्कूल पर शरण ले रहे हैं। आठ सौ से अधिक परिवार विस्थापित होकर शरण स्थली या तटबंध के किनारे अपना आशियाना लगाए हुए हैं। बाढ़ के पानी से बेघर हुए इन विस्थापितों को अंचल कार्यालय द्वारा दो जून का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।बाढ़ पीड़ित सलेहपुर के परमेश्वर सहनी,राधा किशुन साह, बिनोद दुबे, इंडल महतो, बंटी सहनी बताते है कि अंचल कार्यालय के द्वारा मिलने वाले भोजन हर रोज चावल दाल सब्जी ही मिल रही है।
वह भी सबको नहीं मिल पा रही है। पीने की पानी और शौचालय कि कोई सुविधा नहीं है। आवाजाही में परेशानियां हो रही है। नाव की उपलब्धता आवश्यकता से कम होने के कारण सुबह शाम नाव पर आने जाने वाले विस्थापितों की भीड़ लग जा रही है ।वैसे बढ़ती बाढ़ के पानी के बीच अब भी बंजरिया सलेहपुर और रमपुरवा के ऐसे बाढ़ पीड़ित है जो अपने घरों में मचान या छतों पर आशियाना गिरा कर आपना दिन बीता रहे हैं।