प्रशासन की ओर से नहीं मिल रही कोई मदद
मांझागढ़ | व्हीएसआरएस संवाददाता: प्रखण्ड अंतर्गत दियारा के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में घरों में पानी घुस जाने के बाद लोग अब बांध पर ही शरण लेकर गुजारा कर रहे हैं । प्रशासन की गाड़ियां आने पर उम्मीद भरी निगाहों से टकटकी लगाकर देखते रहते हैं कि शायद उन्हें कोई राहत मिल जाये । माँझा प्रखण्ड बाढ़ ग्रस्त घोषित नहीं किये जाने से दियारवासी निराश हैं । उनका कहना है कि पिछले एक सप्ताह से घरों में पानी घुस गया है ।
वे जान माल के साथ बांध पर आकर शरण लिए हैं । लेकिन एक अदद पॉलीथिन तक नहीं मिल सका है । वहीं खाने के रूप में सत्तू का सहारा है । लोग सत्तू खाकर जीवनयापन कर रहे हैं । सबसे अधिक परेशानी छोटे बच्चों व बुजुर्गों को हो रही है । बुजुर्गों का कहना है कि सरकार द्वारा इस बार कोई व्यवस्था नहीं कि गई है । इस बार न तो आश्रय स्थल बना है और न ही सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गई है ।
माँझा प्रखण्ड के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है । भैसही बांध पर बैठी किंतु देवी का कहना था कि घर मे पानी घुस जाने के बाद बांध ही सहारा है । बारिश व धूप की वजह से परेशानी है लेकिन अब यह जिंदगी का हिस्सा बन गया है ।
वहीं सहलादपुर के समीप बांध पर बैठे लोगों का कहना था कि पहले ही कोरोना की वजह से वे परेशानी में थे अब बाढ़ ने उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया है । कई लोग बांध पर बैठकर मछली पकड़ने की व्यवस्था में लगे थे ताकि रात्रि भोजन का इंतजाम हो सके । ज्ञात हो कि माँझा प्रखण्ड में आठ गांव के करीब छह हजार की आबादी बाढ़ से पीड़ित है । जिसमें गौसियां का वृति टोला , बलुआ टोला , मदन मुखिया का टोला , पुरैना का इशुआपुर , भैसही का बलुही , निमुइयाँ पंचायत का माघी , मुंगरहा , विशुनपुरा सहित पूर्ण पंचायत बाढ़ से प्रभावित है ।
लोगों में स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के लिए भी मन मे गुस्सा है । उनका कहना है कि दुख की इस घड़ी में उन्हें कोई देखने नहीं आता है । माँझा को जब तक बाढ़ ग्रस्त घोषित नहीं किया जाएगा तब तक लोगों को कोई राहत नहीं मिलने वाली है । इस सम्बंध में बात करने पर अंचल अधिकारी शाहिद अख्तर ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों का आकलन कर जिला को रिपोर्ट भेजी जा रही है ।