गोपालगंज।व्हीएसआरएस संवाददाता: नालंदा और उदंतपुरी विश्वविद्यालय जैसे वैश्विक शैक्षणिक संस्थानों से गौरव्वानित बिहार आज शैक्षिक भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है।
राज्य सरकार की दिशाहीन शिक्षा नीति के कारण प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की स्थिति जर्जर हो गई है, राज्य के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों की स्थिति इतनी दैनीय हो गई है कि वहां शैक्षणिक माहौल ही समाप्त हो चुका है, विश्वविद्यालय और महाविद्यालय महज डिग्री वितरण केन्द्र बन गए हैं, राज्य सरकार बिहार की शैक्षणिक स्थिति में सुधार लाने में विफल हो चुकी है। उक्त बातें जिला संयोजक प्रिंस सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा।
वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राज्य सरकार के इस गैर जिम्मेदाराना रवैया की कड़ी निन्दा करती है, जानकारी देते हुए प्रदेश कार्य समिति सदस्य अनिश कुमार ने कहा की राज्य के 10% स्कूल भवनों के अभाव में चल रहे है तो 50% विधालय के पास शौचालय और चहारदीवारी का अभाव है, राज्य के कई विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे। पुस्तक उपलब्ध न कराए जाने के कारण 60% विद्यार्थी बिना पुस्तक के स्कूल जाने के विवश है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव में अभिभावक निजी स्कूलों में अपने बच्चों को भेज रहे हैं, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज खुली है लेकिन इसमें आधारभूत संरचना और शिक्षकों की कमी है।
प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नवीन सिंह ने राज्य में बधाल शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर 10 सूत्री मांग पत्र भी दोहराया। प्रमुख मांगों में यथा शीघ्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू करने, महाविद्यालय प्राचार्य तथा प्राध्यापकों के रिक्त पद यथा शीघ्र बहाली करने, पुस्तकालय, छात्रवास, खेल संबंधित संसाधन आदि) की कमी दूर करने छात्र – शिक्षक के अनुपाक के आधार पर शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति करने की मांग की गई।
महेंद्र महिला कॉलेज इकाई ने जय प्रकाश विश्वविद्यालय के परीक्षा परिणाम के बाद कॉपी रिचेक करने का भी विकल्प विश्वविद्यालय दे ताकि रिजल्ट से असंतुष्ठ विधार्थी अपना कॉपी पुनः जांच करा सके।
प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल में हरिओम राय,रोहित जयसवाल,विक्की कुशवाहा,आशीष पटेल,रवि पाण्डेय,रिशु राज,शुभम मिश्रा,संध्या कुमारी,मनीषा ,हर्षिता, आदिति,मेघना,अंशु,सगूफा प्रवीन ,लिप्सा कश्यप,सुमन कुमारी मौजूद थे।।