गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता : गोपालगंज से महागठबंधन से टिकट की आस लगाए डॉ सुनील कुमार रंजन के आशा पर जब पानी फिरा तो उन्होंने निर्दलीय चुनावी मैदान में ताल ठोकने के लिए मन बना लिया है। अब उनके मैदान में उतरने की चर्चा होते ही आम से लेकर खास तक के लोगो के बीच चर्चाओं का बाजार फिलहाल गर्म है।
जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है, की गोपालगंज लोक सभा सीट पर त्रिशंकु मुकाबला होने की संभावना है। हालांकि राजनीतिक पंडितों के माने तो डॉ सुनील कुमार रंजन के चुनाव लड़ने के कारण डॉ आलोक कुमार सुमन की मुश्किलें बढ़ सकती है
वीआईपी से चंचल पासवान मैदान में
ऐसे में नेताओं द्वारा अपनी-अपनी जीत के दावे पेश किए जा रहे हैं। एनडीए ने अपने प्रत्याशी निवर्तमान सांसद और जदयू के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ आलोक कुमार सुमन को पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जबकि महागठबंधन समर्थित वीआईपी के टिकट पर पहली बार अपना किस्मत आजमाने के लिए प्रेम नाथ चंचल उर्फ चंचल पासवान चुनावी मैदान में उतरे है।
वही बात करें जिले के प्रसिद्ध डॉ सुनील कुमार रंजन की तो उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने का प्रयास किए थे। लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण वे चुनाव नही लड़े। इसके बाद एक बार फिर उन्होंने लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए राजद से टिकट की उम्मीद लगाए थे।
निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया फैसला
काफी प्रयास के बाद भी शीर्ष नेताओं से वार्ता भी हुई और उन्हें यह विश्वास हुआ की इस बार उन्हें राजद से टिकट जरूर मिलेगा। इसको लेकर उन्होंने अपने क्षेत्र में भ्रमण कर लोगो से जनसंपर्क भी करना शुरू किया। इसी बीच राजद ने अपने कोटे से गोपालगंज सीट को वीआईपी को दे दिया।
जिससे उन्हें थोड़ी असहजता तो हुई लेकिन उन्हें फिर भी उम्मीद थी कि वीआईपी द्वारा उन्हीं को प्रत्याशी घोषित किया जाएगा। लेकिन उनके उम्मीदों पर उस वक्त पानी फिर गया ।
जब पूर्व भाजपा नेता ई सुदामा मांझी के बेटा प्रेम नाथ चंचल उर्फ चंचल पासवान पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए टिकट देकर महागठबंधन के प्रत्याशी बनाया गया। जिससे आहत होकर डॉक्टर सुनील कुमार रंजन ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।
बता दें कि डॉ सुनील कुमार रंजन एमबीबीएस/एमएस, जनरल सर्जन पीएमसीएच, पटना से शिक्षा प्राप्त किए है। बेतिया पश्चिम चंपारण मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। कुचायकोट प्रखंड के सेमरा पंचायत से विगत 8 वर्षों से मुखिया हैं। उनके पिता और उनका समाज में काफी पकड़ है।