Pune पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) जोनल मान्यता प्राप्त संगठनों के दबाव में दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशनों द्धारा बारी बारी से चेयरमैन,सीईओ रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर संवेदनशील पदों से कर्मचारियों का ट्रांसफर प्रलंबित रखने का दबाव बनाया जा रहा है। यही कारण है कि आरपीएफ कर्मियों का टेनिओर ट्रांसफर को लटका कर रखा जा रहा है। यह खेल पिछले दो साल से लगातार चल रहा है। जानकारों का मानना है कि ट्रांसफर में पैसों का खेला होता है। जबकि कारण कोविड प्रोटोकॉल का बहाना है। जबकि देश में सारी चीजें खुल गई,सारा कामकाज पहले की तरह गतिमान है। फिर इनको कोरोना कैसे लग रहा है। युनियन कोरोना का बहाना करके संरक्षण प्रदान कर रही है। जबकि वहीं का वहीं शिफट होना है। यहां पैसों का फंडा है।
पिछले वर्ष 2020 मेंं कोविड का हवाला देकर सभी आरपीएफ कर्मियों का टेनिओर ट्रांसफर रोक दिया गया तथा इस वर्ष 2021 में रेलवे के 17 जोनों में टेनिओर ट्रांसफर किया गया जबकि 12 रेलवे ज़ोन में आरपीएफ़ निरीक्षकों और स्टाफ़ का टेनीओर ट्रान्सफर लागू कर दिया गया,इन सभी ने अपने तैनाती स्थान पर ज्वाइन कर लिया है,लेकिन वहीं कुल 05 रेलवे ज़ोनों ने जिसमें ER, ECR, WCR, NCR एवं NER में ट्रान्सफ़र आदेश के बावजूद आरपीएफ कर्मचारियों को अब तक रिलिव नहीं किया गया है। इन 05 रेलवे में सेंसिटिव पोस्टो पर आरपीएफ के स्टाफ व निरीक्षक लगातार 05 वर्ष पूर्ण होने जा रहा है एक ही जगह बने पडे हैं जबकि 03 वर्ष पर उप निरीक्षक से निरीक्षक तक का तथा इनसे नीचे के पद का 05 वर्ष तक स्थानांतरण दूसरे स्थान पर कर देने का नियम है। सेंसिटिव पोस्टों पर बैठे यह आरपीएफ कर्मियों ने मनमानी और मनमौजी कार्यशैली अपना रखी है। इनको हटाया जाना चाहिए था और स्थानांतरण शीघ्र से शीघ्र लागू होना चाहिए था। पर इन 05 रेल में ऐसा नहीं हुआ क्यों?
जबकि भारतीय रेल में एक नियम है और एक आदेश,सभी जोनल रेलवे में समान नियमों का पालन होना चाहिये था,जो नहीं किया गया।सभी रेलवे जोन में से मात्र 05 आरपीएफ कर्मचारियों को स्थानांतरण के बावजूद आरपीएफ कर्मियों को रिलीव नहीं किया जाना उचित नहीं है,इससे विभाग में सौतेलापन का व्यवहार परिलक्षित हो रहा है और आरपीएफ कर्मियों में असंतुष्टता फैल रही है। कोविड का हवाला देकर आवधिक स्थानांतरण को रोकना उचित तो नहीं लगता है,क्यों कि जब सारा भारत व सारे सरकारी विभाग लाकडाउन में अपने घर पर रहकर अपनी जान बचा रहा था। उस समय यही भारतीय रेल के आरपीएफ स्टाफ और चिकित्सा विभाग और अन्य महत्वपूर्ण विभाग ने दिन रात बिना अपने जान की परवाह किए,इस अदृश्य भयावह महामारी में फ्रंट लाईन में खडा होकर रेल सेवा में समर्पित थे। इनके कार्यों की तारीफ पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल ने सदन में की थी तथा देश विदेश में भी इसकी खूब चर्चा हुई।
आज इनके आवधिक स्थानांतरण के मामले पर भारतीय रेल में दो नियम क्यों लागू किया जा रहा है,जबकि राजपत्रित अधिकारियों के स्थानांतरण लगातार हो रहे हैं और अन्य विभागों में भी स्थानांतरण लगातार चल ही रहा है।आरपीएफ वर्दीधारी (आर्म्ड फोर्स) है, इसका स्थानांतरण नियमानुसार समय समय पर होते रहना चाहिए जिससे अव्यवस्था व असंतोष की भावना न पैदा हो। अतः उपरोक्त 05 रेलवे के आरपीएफ कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेश को लागू किया जाना चाहिए। ताकि भ्राष्टाचार को बढावा न मिले।