Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) ’वायरल फीवर’ के चलते शहर भर के छोटे क्लीनिक से लेकर बड़े अस्पतालों तक मरीजों की कतार लग रही है। यह रोग अक्सर फेफड़ों को प्रभावित करता है। एंटीबायोटिक्स वायरल रोगों का इलाज नहीं हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि एंटीवायरल उपचार लेने से आप बीमारी से जल्दी ठीक हो सकते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक इस समय सर्दी,खांसी,कफ,बुखार,बदन दर्द,थकान,सांस लेने में तकलीफ,सांस लेने में तकलीफ से सभी परेशान हैं। सबसे ज्यादा एच1एन1, उसके बाद डेंगू और फिर कोरोना वायरस का निदान किया जा रहा है।
यदि एच1एन1 वायरस का समय पर निदान नहीं किया जाता है, तो यह सीधे फेफड़ों पर हमला करता है। यदि रोग को नजरअंदाज कर दिया जाता है या लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो निमोनिया का निदान सात से दस दिनों के बाद किया जाता है और रोगी को वेंटिलेटर पर रखने का समय आ गया है। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक, सह-रुग्णता वाले रोगी,मोटे व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इसलिए वायरस सीधे हमला करता है और संक्रमण मजबूत हो जाता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि घर पर उपलब्ध दवाइयाँ लेने से,फार्मासिस्टों से आपसी दवाएँ लेने के लिए पिछला नोट दिखाकर या लक्षण बताकर,डॉक्टरों का गलत चुनाव करने से बचें।
वायरल रोगों के निदान के लिए मुंह या नाक से स्राव के नमूने (स्वैब) लिए जाते हैं। वायरस ने शरीर को कितना नुकसान पहुंचाया है,यह जानने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। लक्षणों के देर से शुरू होने के कारण अक्सर उपचार में देरी होती है। वायरस के अलग-अलग उपभेद भी इसका कारण बनते हैं। फिलहाल एच1एन1 का दबाव बढ़ता देखा जा रहा है। ऐसी जानकारी ससून हॉस्पिटल की एमडी मेडिसिन डॉ.अंजलि कामत ने दी है।
वर्तमान में कोरोना का कम प्रसार,मध्यम डेंगू और उच्च एच1एन1 है। श्वसन वायरस फेफड़ों के कार्य को प्रभावित करते हैं। इस वायरस के कारण पहले दो-तीन दिनों में सर्दी-खांसी के लक्षण दिखाई देते हैं और सात दिनों के बाद सांस लेने में तकलीफ और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। समय पर निदान न होने पर किडनी,हृदय पर असर पड़ने की आशंका रहती है। इससे बचने के लिए सही समय पर सही डॉक्टर से उचित दवा लेनी चाहिए।