National News नई दिल्ली (व्हीएसआरएस न्यूज) कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान बुधवार को हो चुका है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की तरफ से जारी कार्यक्रम के अनुसार, दक्षिण भारतीय राज्य में एक ही चरण में 10 मई को वोट डाले जाएंगे। वहीं, नतीजें 13 मई को मतगणना होगी राज्य की 224 विधानसभा सीटों पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) दावेदारी पेश कर रही हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के जरूरी आंकड़े
कर्नाटक में एससी/एसटी की हिस्सेदारी 24.5 फीसदी है। जबकि, मुस्लिम मतदाता 16 प्रतिशत हैं। इनके अलावा राज्य में लिंगायत 14 फीसदी और वोक्कलिगा 11 प्रतिशत हैं। साथ ही राज्य की कुल 225 में से 36 सीटें दलित, 15 सीटें आदिवासी, 01 मनोनीत के लिए आरक्षित हैं। वहीं, 173 सीटें सामान्य होंगी।
पिछला चुनाव
साल 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद कर्नाटक को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार मिली थी। हालांकि, बाद में भाजपा कई बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने में सफल हो गई थी। फिलहाल, विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 121 है। वहीं, कांग्रेस विधायक 70 हैं। जेडीएस के विधायकों की संख्या 30 पर है।
इधर, दक्षिण भारत के राज्यों में विस्तार की कोशिशों में जुटी भाजपा के लिए कर्नाटक ही एकमात्र गढ़ है। ऐसे में पार्टी के लिए कर्नाटक फतह करना काफी अहम होगा। हालांकि, 2023 में तेलंगाना चुनाव भी होने हैं और पार्टी भारत राष्ट्र समिति के सामने चुनौती पेश कर रही है। मौजूदा कार्यकाल में भाजपा ने सीएम बदलकर बीएस येदियुरप्पा की जगह कमान बसवराज बोम्मई को दे दी थी।
चुनाव से पहले आरक्षण, टीपू सुल्तान और हिजाब का मुद्दा…
1. मुस्लिमों का 4% आरक्षण खत्म
- 27 मार्च 2023 को कर्नाटक की भाजपा सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाला 4% आरक्षण खत्म कर दिया। राज्य की आबादी में इनकी संख्या करीब 13% है। उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलने वाले 10% आरक्षण में शामिल कर दिया है। चुनाव से करीब एक महीने पहले लिए गए इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनी तो पहला कदम इस फैसले को पलटना होगा।
- कर्नाटक में पहली बार मुस्लिमों को पहली बार आरक्षण 1994 में एचडी देवगौड़ा सरकार में दिया गया। मुस्लिमों को सामाजिक आधार पर पिछड़ा मानते हुए उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया गया।
2. आरक्षण पर बंजारा समुदाय की नाराजगी
- इसी महीने कर्नाटक सरकार ने आरक्षण को दो प्रमुख समुदायों, वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा में बांटा। पहले वोक्कालिगा समुदाय को 4% रिजर्वेशन मिलता था, अब 6% हो गया है। पंचमसालियों, वीरशैवों के साथ अन्य लिंगायत कैटेगरी के लिए अब 7% आरक्षण होगा। पहले यह 5% था।
- राज्य का बंजारा समुदाय इसका विरोध कर रहा है। फैसला आते ही भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के घर और दफ्तर पर इस समुदाय के लोगों ने पथराव किया। उनका कहना है कि अनुसूचित जाति का आरक्षण कम कर दिया गया है।
- इन दलित समुदायों की तादाद राज्य में 20% है। पहले इन्हें 17% आरक्षण मिल रहा था। 27 मार्च 2023 को दलितों का आरक्षण कई हिस्सों में बांट दिया गया। इसी बात पर इनकी नाराजगी है।