Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे के डीआरएम कार्यालय में मंगलवार को रेल प्रशासन और सांसदों की ओर से आयोजित बैठक हंगामेदार रही। पिछले दो वर्षों से निर्वाचन क्षेत्र में यात्रियों द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। हर बार सिर्फ बात होती है,कोई कार्रवाई नहीं। नौ सांसद यह कहते हुए बैठक से बाहर चले गए कि अगर हमारे सवालों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो हमें भी आपकी बैठक में भाग लेने में कोई दिलचस्पी नहीं है। साथ ही यहां से किसी भी रेलवे बैठक में नहीं जाने का फैसला किया। दिलचस्प बात यह है कि माढ़ा के सांसद रंजीतसिंह नाइक निंबालकर ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में पीएमओ और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से शिकायत करेंगे।
पुणे और सोलापुर मंडल में रेलवे के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार (18 तारीख) को मध्य रेलवे के प्रबंधक अनिल कुमार लाहोटी की अध्यक्षता में पुणे और सोलापुर मंडल के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सांसदों की एक बैठक हुई। इस मौके पर नौ सांसद मौजूद रहे। रेलवे अधिकारियों से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, यात्रियों के हित में निर्णय नहीं लिया जाता है। सभी सांसदों ने स्टैंड लिया कि अगर सांसदों की राय नहीं ली गई तो हम रेलवे बैठक का बहिष्कार करेंगे। रंजीतसिंह नाइक निंबालकर,श्रीनिवास पाटिल, श्रीरंग अप्पा बारणे,धनंजय महाडिक,दरिशशील माने,डॉ.जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य स्वामी,ओमप्रकाश भूपालसिंह उर्फ पवन राजे निंबालकर,सुधाकर श्रंगारे और उमेश जाधव जैसे सांसद मौजूद थे।
तीन महीने पहले रेल राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने पुणे डीआरएम कार्यालय में रेलवे अधिकारियों की बैठक की थी। इस समय पुणे के अधिकारियों ने भी अपर्याप्त जवाब दिया। उस समय बैठक में ही दानवे ने उन अधिकारियों से कठोर शब्द कहे थे। उन्होंने अधिकारियों से यह भी पूछा कि क्या वे बैठक में सिर्फ चाय और बिस्कुट खाने आते हैं।
इंतजार न करें,शिक्षा का मसला गंभीर
मेरे निर्वाचन क्षेत्र के खेम और जेउर स्टेशनों पर यात्री श्रेणी की ट्रेनों का ठहराव हुआ करता था। चूंकि अब इसे रद्द कर दिया गया है, ऐसे में करीब 100 से 150 लड़कियों की शिक्षा एक समस्या बन गई है। रेलवे नहीं होने के कारण उसके माता-पिता दूसरे वाहन से कॉलेज जाने के खिलाफ हैं। यह सवाल माढ़ा सांसद रंजीतसिंह निंबालकर ने उठाया था। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि आमदनी कम होने की बात कहकर यात्री रेलवे को दोबारा नहीं शुरु किया जा सका। निंबालकर ने नाराजगी व्यक्त की और बैठक से बाहर चले गए। यह देख अन्य सभी सांसदों ने भी बैठक का बहिष्कार किया।
निर्वाचन क्षेत्र में यात्रियों के हित के लिए बार-बार अनुरोध करने के बावजूद,रेलवे अधिकारी इस पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। मंगलवार की बैठक में फिर इसकी पुष्टि की गई। इसलिए बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं था। उन्होंने सांसदों की मंडल रेल समिति के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया।