Pcmc News पिंपरी (व्हीएसआरएस न्यूज) शासन और प्रशासन गलत कामों पर लगाम लगाने और कार्रवाई करने के लिए होता है। अगर यही प्रशासन खुद गलत निर्णय लेने लगे तो गलत परंपराओं का जन्म होता है। जो नियम आम जनता के लिए बनाए गए हैं वही नियम अधिकारी,ठेकेदार,खुद शासन-प्रशासन के लिए भी लागू है। अगर तत्कालीन पिंपरी पालिका आयुक्त ने चिखली कुदलवाडी परिसर के नाला में पीलर खडा करके अवैध सीवेज ट्रीट्रमेंट प्लांट की मंजूरी दी है तो भी वर्तमान आयुक्त के संज्ञान में बात आयी है और उनको लगता है कि प्राकृतिक की देन नाला को पाटना,बुझाना अथवा नाले के ऊपर पीलर खडा करके सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करना गलत है तो पुराने आयुक्त के आदेशों को निरस्त करके नए आदेश जारी करके प्लांट के कार्यों को रोकने का आदेश दे सकते है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि इतना विरोध होने के बाद आखिरकार आयुक्त शेखर सिंह अभी तक मौन क्यों है? किसका दबाव है? अगर ऐसी परंपरा को रोका नहीं गया तो आने वाले दिनों में शहर के जितने प्राकृतिक,एतिहासिक नाले हैं उन पर ठेकेदारों,बिल्डरों का कब्जा हो जाएगा।
चिखली कुदलवाड़ी में पिंपरी चिंचवड़ पालिका का पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग नाले में पच्चीस से तीस पीलर डालकर अवैध तरीके से वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है। यह परियोजना राष्ट्रीय हरित अधिकरण सिंचाई विभाग एवं पालिका के अधीन निर्माणाधीन है। विभाग की अनुमति नहीं है,इसलिए पालिका द्वारा यह वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट अविलंब बंद किया जाए। संबंधित पर्यावरण विभाग के अधिकारी से खर्च हुए करोड़ों रुपये का नुकसान की वसूली की जाए। ऐसी मांग पिंपरी चिंचवड शहर महिला कांग्रेस की अध्यक्षा सायली नढे ने आयुक्त शेखर सिंह से की है।
महिला कांग्रेस अध्यक्षा सायली नढे के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल कल पालिका आयुक्त शेखर सिंह से मिला और एक ज्ञापन सौंपा । नाले पर बने निर्माण कार्य को तोडकर नाला मुक्त किया जाए। पर्यावरण के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड,छेडछाड बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इस अवसर पर महिला कांग्रेस की पदाधिकारी स्वाती शिंदे,आशा भोसले,निर्मला खैरे,रंजना सौदेकर आदि उपस्थित थी। सायली नढे ने आयुक्त से कहा कि कोई व्युक्ति नाला से सटकर बांधकाम करता है तो बांधकाम विभाग नोटिस देकर तोडने का काम करता है। पालिका का पर्यावरण विभाग नाले के उपर कई पीलर खडा करके सीवेज प्लांट निर्माण किया,जो पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक है,उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई अभी तक क्यों नहीं हुई? सरकारी,गैरसरकारी संस्थानों को भी नियमों का पालन करना उतना ही बंधनकारक है जितना आम नागरिकों को है।