Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) अजित पवार को अपनी पार्टी का नाम बताने और यह बताने की हिम्मत होनी चाहिए कि उनकी विचारधारा हिंदू है या धर्मनिरपेक्ष। एनसीपी प्रवक्ता विकास लवांडे ने आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी को बचाने के लिए 83 साल की उम्र में शरद पवार को चुनाव आयोग से लड़ना चिंताजनक है।
लावंडे ने कहा, ’भ्रष्टाचार के कारण कार्रवाई से बचने के लिए अजित पवार और अन्य नेताओं ने बीजेपी के साथ सत्ता में भागीदारी की होगी। जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना छोड़ी, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे गुमनामी के लिए बंद कर दिया है, उन्होंने बताया कि वह हिंदुत्व के लिए भाजपा के साथ आए हैं। लेकिन अजित पवार ने अभी तक अपनी विचारधारा की घोषणा नहीं की है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस देश के संविधान को नहीं माना। यह पार्टी फासीवादी विचार रखती है। भाजपा भी सत्ता के माध्यम से इसी तरह काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही भोपाल की एक सभा में एनसीपी पर 70 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, अगले तीन दिनों में अजित पवार और अन्य नेताओं ने एनसीपी में बगावत कर दी। सीबीआई, ईडी को बीजेपी की सेल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। जो तरीका शिवसेना को तोड़ने के लिए इस्तेमाल किया गया था वही तरीका एनसीपी को तोड़ने के लिए भी इस्तेमाल किया गया है। शिवसेना छोड़ने के बाद राज ठाकरे ने अपनी अलग पार्टी बनाई। इसी तरह अजित पवार ने भी एनसीपी पार्टी और चुनाव चिह्न छोड़ने, शरद पवार का नाम और फोटो इस्तेमाल न करने और अजित एनसीपी कांग्रेस नाम से नई पार्टी बनाकर और चलाकर दिखाएं। ऐसी चुनौति दी।
आरोप लगाया जा रहा है कि शरद पवार कट्टरपंथियों से घिरे हुए हैं. लेकिन जिन नेताओं ने पवार का साथ छोड़ा, वे उनके आसपास के लोग ही थे। उनके बिना साहब से मिलना संभव नहीं था। लावांडे ने आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी तोड़ने वाले नेता बुरे होते हैं। उनकी कोई नीति,विचार नहीं होते,केवल सत्ता और अपने भ्रष्टाचार को छुपाने,जेल जाने से बचने के लिए पार्टी तोड देते है। ऐसे लोगों से हाथ मिला लेते है जो धर्मनिरपेक्ष नहीं होते।