Pcmc News पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) रंगमंच नाटक ज्ञान और मनोरंजन का माध्यम है। ऐसे नाटक होने चाहिए जो पूर्णतः मनोरंजक हों,अर्थपूर्ण हों और वास्तविकता से जुड़े हो। प्रायोगिक एवं व्यावसायिक,बाल रंगमंच को राज्य सरकार द्वारा विशेष अनुदान दिया जाना चाहिए। साथ ही 100वें अखिल भारतीय मराठी रंगमंच सम्मेलन के स्वागत अध्यक्ष और राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने उम्मीद जताई कि वरिष्ठ कलाकारों का वेतन बढ़ाया जाना चाहिए और टिकट की कीमत कम की जानी चाहिए।
ये मान्यवर मंच पर उपस्थित थे
100वें अखिल भारतीय मराठी रंगमंच(नाटक) सम्मेलन का उद्घाटन समारोह का आज पिंपरी चिंचवड़ में शानदार आगाज हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, 99वें अखिल भारतीय मराठी रंगमंच सम्मेलन के अध्यक्ष प्रेमानंद गजवी, 100वें अखिल भारतीय मराठी रंगमंच सम्मेलन के अध्यक्ष जब्बार पटेल, उद्योग मंत्री उदय सामंत, सांसद श्रीरंग बारणे, विधायक उमा खापरे, विधायक अन्ना बंसोडे, अभिनेता मोहन जोशी, अशोक हांडे, डॉ.डी.वाई पाटिल विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. पी. डी. पाटिल,अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद के अध्यक्ष प्रशांत दामले,आयोजक और राज्य उपाध्यक्ष भाऊसाहेब भोईर,नाट्य परिषद पिंपरी शाखा के उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार गोयल, उपाध्यक्ष सुरेश कुमार सांकला,पुणे कलेक्टर डॉ.राजेश देशमुख,पिंपरी चिंचवड़ पालिका आयुक्त शेखर सिंह और अन्य उपस्थित थे। 99वें अखिल भारतीय मराठी रंगमंच सम्मेलन के अध्यक्ष प्रेमानंद गजवी ने सम्मेलन का नेतृत्व 100वें अखिल भारतीय मराठी रंगमंच सम्मेलन के अध्यक्ष जब्बार पटेल को सौंपा।
फिल्मों के सामने मराठी रंगमंच का भविष्य खतरे में-शरद पवार
आगे बोलते हुए शरद पवार ने कहा, सिनेमा से हजारों साल पहले थिएटर सबसे प्रभावी माध्यम था। मात्रा अब लगभग सभी निर्माता अभिनेता हिंदी फिल्मों की ओर रुख कर रहे हैं। इसलिए मराठी रंगमंच का भविष्य खतरे में है। साथ ही आजकल डिजिटल मीडिया में भी नाटक प्रस्तुत किये जाते हैं। लेकिन पवार ने ये भी कहा कि इसमें थिएटर वाली जीवंतता नहीं है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, चूंकि देश में प्राचीन मंदिर और शौर्य का इतिहास है। थिएटर और नृत्य परंपराओं का इतिहास भी ऐसा ही है। यही कारण है कि मराठी दर्शक ओटीटी और सोशल मीडिया की मौजूदगी में भी नाटकों की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि राजनेता अच्छे अभिनेता होते हैं। लेकिन आपकी कला हमसे अधिक कठिन है। राजनीति में कभी-कभी साहसिक फैसले भी लिए जाते हैं। डेढ़ साल पहले सत्ता परिवर्तन का पहला मामला सामने आया था। अब दूसरा मामला चल रहा है। चुनाव नतीजे आने के बाद तीसरा अंक पास हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि नाटकों के मुद्दों को सुलझाने के लिए एक विशेष बैठक आयोजित की जायेगी।
अगली पीढ़ी को नाटक देखने की आदत डालनी चाहिए-प्रशांत दामले
उदय सामंत ने कहा, यह प्रशंसनीय है कि भाऊसाहेब भोईर ने 100 नाटक सम्मेलन के दौरान सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष को याद किया। जैसे ही उद्घाटन समारोह हो रहा है। इसी प्रकार शेष विभागीय बैठकें भी आयोजित की जाएं। लेकिन जब मीटिंग हो रही हो तो बैक स्टेज कलाकारों, तकनीक पर भी विचार किया जाना चाहिए। प्रशांत दामले ने कहा, हर कोई ड्रामा,ओटीटी,सिनेमा में काम कर रहा है। लेकिन हर कोई इससे समय निकालकर इस बैठक में आता है।’ यह हमारे विचार व्यक्त करने का सही स्थान है। प्रशांत दामले ने आशा व्यक्त की कि इच्छुक दर्शकों को अगली पीढ़ी को नाटक देखने की आदत डालनी चाहिए। दामले ने राज्य में नाटकों की स्थिति और असुविधा, किराया वृद्धि पर भी टिप्पणी की और मुख्यमंत्री से समाधान योजना लाने का अनुरोध किया।