Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखने और हमारी महान भारतीय संस्कृति के प्रसार के लिए,पुणे जिले में ज्योतिर्लिंग श्रीक्षेत्र भीमाशंकर सहित 71 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके चलते महाराष्ट्र राज्य के करीब 528 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है, इसकी जानकारी ’महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के राज्य समन्वयक श्री सुनील घनवट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
हिन्दू जनजागृति समिति के पुणे जिला संयोजक श्री.पराग गोखले,’महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के पुणे जिला संयोजक चोरघे महाराज, ग्राम देवता श्री कसबा गणपति मंदिर ट्रस्टी श्रीमती संगीता ठाकर,करहे पठार खंडोबा मंदिर देवस्थान ट्रस्टी मंगेश जेजुरिकर, चतुश्रृंगी देवस्थान श्री नंद कुमार अंगल,हडपसर तुकाई देवस्थान सचिव सागर तुपे व अन्य उपस्थित थे। उन्होंने आगे कहा कि पुणे की तरह नागपुर,अमरावती,जलगांव,अहिल्यानगर,मुंबई,ठाणे,सतारा,रत्नागिरी,सिंधुदुर्ग,सोलापुर,कोल्हापुर जैसे कई जिलों के मंदिरों में यह वस्रसंहिता पहले ही लागू की जा चुकी है। मंदिर महासंघ के प्रयासों का स्वागत किया जा रहा है और ट्रस्टियों द्वारा न केवल महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बल्कि देश भर के कई राज्यों और विदेशों के मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू करने के सराहनीय निर्णय लिए जा रहे हैं।
साल 2020 में गैर धार्मिक राज्य सरकार ने राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों में ड्रेस कोड भी लागू कर दिया है। देशभर में ऐसे कई मंदिर, गुरुद्वारे, चर्च, मस्जिद और अन्य पूजा स्थल, निजी प्रतिष्ठान, स्कूल-कॉलेज, अदालतें, पुलिस स्टेशन आदि हैं जहां ड्रेस कोड का सख्ती से पालन किया जाता है। हिंदू मंदिरों की पवित्रता, शिष्टाचार और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए, पुणे जिले के 71 मंदिरों के ट्रस्टियों ने ’महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की बैठक में भारतीय संस्कृति के अनुसार एक ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय लिया है,समन्वयक ’महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ सुनील घनवत ने कहा।
सुनील घनवट ने आगे कहा,”5 फरवरी, 2023 को ’महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ में ’महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की स्थापना के बाद महासंघ का काम धीरे-धीरे बढ़ रहा है। श्री तुलजापुर मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का विरोध; लेकिन उसके बाद महाराष्ट्र टेम्पल फेडरेशन के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य के 528 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया। जब मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया जाता है, तो कुछ प्रगतिशील, आधुनिकतावादी इस बात पर चिल्लाते हैं कि यह कितना गलत है। समाज में संस्कृति के बारे में गलत विचार पहुंचाता है; लेकिन ढीले कपड़े या गैर-पारंपरिक पोशाक पहनकर भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाना ’व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ नहीं हो सकती। प्रत्येक व्यक्ति को ’घर पर और सार्वजनिक स्थान पर क्या पहनना है’ की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है; लेकिन मंदिर एक धार्मिक स्थान है। धर्मानुसार आचरण होना चाहिए। वहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं,बल्कि धर्म महत्वपूर्ण है। मंदिर के ट्रस्टियों ने इस सब पर बहुत अच्छे से विचार किया और यह निर्णय लिया ताकि आगे से मंदिर की पवित्रता बरकरार रहे और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
कई प्रसिद्ध मंदिर जैसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, छत्रपति संभाजी नगर का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश का श्री तिरूपति बालाजी मंदिर, केरल का प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर कई वर्षों से भक्तों के लिए सात्विक ड्रेस कोड लागू कर रहा है इतना ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के पार्थना स्थल में भी इसी के अनुसार चल रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के ’जींस पैंट’, ’टी-शर्ट’, चमकीले रंग या कढ़ाई वाले कपड़े और ’चप्पल’ पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मद्रास उच्च न्यायालय ने भी 1 जनवरी 2016 से ड्रेस कोड लागू किया, यह मानते हुए कि ’मंदिरों में प्रवेश के लिए सात्विक पोशाक पहनी जानी चाहिए’।