Mumbai News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) महान मराठा योद्धा शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। मुगल शासक औरंगजेब से शिवाजी ने जबरदस्त मोर्चा लिया। 1674 में रायगढ़ के किले में राज्याभिषेक के बाद वह छत्रपति बने। 1666 में औरंगजेब के निमंत्रण पर शिवाजी आगरा गए थे।
छत्रपति शिवाजी महाराज की 393वीं जयंती पहली बार आगरा किले के दीवान-ए-आम में मनाई जाएगी। महाराष्ट्र सरकार और कई सामाजिक संगठनों के वर्षों के प्रयासों के बाद यह संभव हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा के किले में शिव जयंती समारोह की अनुमति दी है। कई सामाजिक समूहों ने सरकार से आगरा के किले में दीवान-ए-आम में भव्य तरीके से कार्यक्रम मनाने की अपील की थी। लेकिन इस अपील को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने खारिज कर दिया था, जो विरासत स्मारक की देखभाल करता है।
इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट के पास मामला गया। कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया कि यदि महाराष्ट्र सरकार सह-आयोजक के रूप में शामिल है, तो समारोह की अनुमति दें। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे,उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एएसआई और अन्य अधिकारियों को लिखा कि राज्य सरकार कुछ सामाजिक समूहों के साथ इस आयोजन से जुड़ेगी। सितंबर 2020 में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किले में मौजूदा मुगल संग्रहालय का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय करने का फैसला किया था।
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आगरा के किले का मुगल और मराठा साम्राज्य के इतिहास में एक विशेष महत्व है, जो लंबे समय तक आपस में भिड़े रहे थे। 1666 की गर्मियों में मराठा राजा शिवाजी को मुगल सम्राट औरंगजेब ने आगरा में शाही दरबार में उनके 50वें जन्मदिन समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। शिवाजी, अपने बेटे राजकुमार संभाजी के साथ 12 मई, 1666 को जन्मदिन के लिए आगरा पहुंचे। लेकिन यहां पर छल से दोनों को औरंगजेब के सैनिकों ने बंदी बना लिया था।
17 अगस्त, 1666 को मिठाई के बक्सों में भागने से पहले शिवाजी और संभाजी अपने वफादार सैनिकों के साथ लगभग तीन महीने तक बंदी बने रहे। वीर मराठा नेता को छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में 1674 में रायगढ़ के किले में ताज पहनाया गया था। इसके बाद उन्हें छत्रपति की उपाधि मिली थी। इस समारोह में हिंदवी स्वराज की स्थापना का ऐलान किया गया था। दक्षिण में विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद यह पहला हिंदू साम्राज्य था। उनका राज मुंबई के दक्षिण में कोंकण,तुंगभद्रा नदी के पश्चिम में बेलगांव,धारवाड़,मैसूर,वेल्लारी और त्रिचूर तक फैला हुआ था। तीन अप्रैल 1680 को रायगढ़ के किले में शिवाजी महाराज का निधन हुआ था।