Pune News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे विभागीय आयुक्तालय के अतिरिक्त आयुक्त डॉ.अगर अनिल रामोड को सेवा में बरकरार रखा गया तो जांच में बाधा आ सकती है। इसलिए केंद्रीय आपराधिक जांच विभाग (सीबीआई) ने डिविजनल कमिश्नर कार्यालय को पत्र दिया था कि उन्हें निलंबित कर दिया जाए। तदनुसार, रामोड के निलंबन के संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। इस पर संज्ञान लेते हुए आखिरकार रामोड को सस्पेंड कर दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार के उप सचिव प्रशांत सजनीकर ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
रामोड विभागीय आयुक्त कार्यालय में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर थे। उनके पास सोलापुर जिले के मालशिरस तहसील में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित चार्ज था। संबंधित किसान को मुआवजा स्वीकार्य नहीं था। मामले का फैसला करने के लिए राज्य सरकार द्वारा रामोड को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके मुताबिक रामोड के साथ सुनवाई चल रही थी। भूमि अधिग्रहण मुआवजा अपील स्वीकार करने के लिए शिकायतकर्ता से आठ लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई थी। इस मामले में शिकायतकर्ता के वकील ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई।
इस शिकायत के मुताबिक पिछले 15 दिनों से सीबीआई की ओर से जानकारी जुटाने का काम शुरू कर दिया गया है। शिकायत का सत्यापन करने के बाद शुक्रवार (9 तारीख) को दोपहर करीब 12:30 बजे सीबीआई ने रामोड को विधान भवन स्थित अपर आयुक्त के कार्यालय में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया और उन्हें न्यायिक हिरासत में दे दिया गया है। चूंकि रामोड एक प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं, इसलिए राज्य सरकार के पास उन्हें सेवा से निलंबित करने की शक्ति है। इसलिए, सीबीआई के पत्र के अनुसार, इस तरह का एक प्रस्ताव विभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा राज्य सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया था।