Mumbai News मुंबई(व्हीएसआरएस न्यूज) महाराष्ट्र में जैसे-जैसे 31 दिसंबर की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राज्य के नए डीजीपी को लेकर दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। इसकी कारण है महाराष्ट्र कैडर की आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला की डीजीपी पद पर नियुक्ति रुकी पड़ी हुई है। महाराष्ट्र की ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है कि 31 दिसंबर तक शुक्ला की नियुक्ति डीजीपी के पद नहीं होती है तो उनके डीजीपी बनने की राह मुश्किल हो सकती है। महाराष्ट्र सरकार ने डीजीपी रजनीश सेठ को महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है, ढाई महीने बाद भी यह पद खाली है क्योंकि राज्य सरकार ने उन्हें पदमुक्त नहीं किया है। सेठ निर्धारित आयु सीमा के अनुसार 31 दिसंबर को महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। तो वहीं रश्मि शुक्ला केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर हैं। उनकी वर्तमान रैंक डीजी की है।
रजनीश सेठ हैं अभी डीजीपी
अक्टूबर में 1988 बैच की आईपीएस अधिकारी रश्मी शुक्ला का नाम महाराष्ट्र की नई डीजीपी के तौर सामने आया था। इसके लिए सरकार ने सितंबर में ही रश्मि शुक्ला का नाम केंद्रीय लोक सेवा आयोग भेज दिया था। गृह विभाग की ओर से 30 साल की सेवा पूरी कर चुके पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारियों की सूची और प्रत्येक की सेवा अवधि का पूरा विवरण आयोग को भेजा गया था। वरिष्ठता क्रम में शुक्ला पहले स्थान पर हैं और 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान कुछ राजनीतिक नेताओं के टेलीफोन टैप करने के आरोप में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे। माना जा रहा था कि 12 सितंबर 23 को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा आरोपों को खारिज करने के बाद शुक्ला की नियुक्ति को मंजूरी मिल गई थी। इस बीच, रजनीश सेठ ने गृह विभाग को पत्र भेजकर उन्हें पद से मुक्त करने का अनुरोध किया है, लेकिन राज्य सरकार ने महानिदेशक पद का प्रभार किसी अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सौंपने का आदेश जारी नहीं किया है।
रश्मि शुक्ला की राह में अड़चन!
आयोग ने रश्मि शुक्ला से जुड़े मामलों और अदालती आदेशों की जानकारी मांगी थी। राज्य सरकार आयोग से नामों की अनुशंसा प्राप्त करने के बाद महानिदेशक की नियुक्ति करती है। शुक्ला 30 जून, 2024 को सेवानिवृत्त होंगी। ऐसे में अगर उनकी नियुक्ति और टलती है तो महानिदेशक पद के लिए चयन नियमों के अनुसार केवल उन्हीं अधिकारियों पर विचार किया जा सकता है जिनका कार्यकाल कम से कम छह महीने का हो। इसलिए 31 दिसंबर 2023 तक महानिदेशक पद के संबंध में निर्णय होने पर ही शुक्ला के नाम पर विचार किया जा सकता है। अगर उनकी नियुक्ति और लंबी खिंचती है तो कानूनी बाधा आ सकती है।