- हर वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा मनाया जाता है।
- इस दिन जगत की धात्री मां गंगा की पूजा-उपासना की जाती है।
- ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मां गंगा का अवतरण भूलोक पर हुआ था।
गंगा सप्तमी का पावन पर्व आने वाला है. गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की उत्पत्ति ब्रह्म देव के कमंडल से हुई थी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस तिथि को गंगा सप्तमी के नाम से जानते हैं. इस दिन गंगा जयंती मनाते हैं. हालांकि इस तिथि को गंगा का अवतरण पृथ्वी पर नहीं हुआ था. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस साल गंगा सप्तमी के दिन पुष्य नक्षत्र, वृद्धि योग और रवि योग में मां गंगा की पूजा की जाएगी. हालांकि उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. आइए जानते हैं कि गंगा सप्तमी किस दिन है? गंगा पूजा का शुभ समय क्या है?
कब है गंगा सप्तमी 2024 ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल 14 मई दिन मंगलवार को 02 बजकर 50 एएम पर वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि लग रही है, जो 15 मई दिन बुधवार को सुबह 04 बजकर 19 एएम तक है. उदयातिथि के अनुसार, गंगा सप्तमी का पावन पर्व 14 मई मंगलवार को मनाया जाएगा.
गंगा सप्तमी 2024 पूजा मुहूर्त
14 मई को गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त करीब पौने 3 घंटे का है. उस दिन आप मां गंगा की पूजा सुबह 10 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं.
रवि योग, पुष्य नक्षत्र और वृद्धि योग में होगी गंगा पूजा
गंगा सप्तमी के दिन 3 शुभ योग रवि योग, वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, वहीं पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र है. 14 मई को रवि योग सुबह 05:31 एएम से 01:05 पीएम तक है, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 01:05 पी एम से अगले दिन 15 कई को 05:30 एएम तक रहेगा. वृद्धि योग सुबह में 07:26 एएम से पूरे दिन है. पुष्य नक्षत्र प्रात:काल से लेकर दोपहर 01:05 पी एम तक है, उसके बाद से अश्लेषा नक्षत्र है.
गंगा सप्तमी पर बनने वाले 3 योग और 2 नक्षत्र शुभ हैं. गंगा पूजा के समय वृद्धि योग पुण्य फल में वृद्धि करेगा, वहीं रवि योग आपके सभी दोषों को दूर कर सकता है. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं. वहीं पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा कहा जाता है, जिसके देवता देव गुरु बृहस्पति और स्वामी शनि देव हैं. पुष्य नक्षत्र भी शुभ फलदायी माना जाता है.