दिल्ली| | व्हीएसआरएस न्यूज: योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और यहीं से इनका प्रकाश पूरी दुनिया में फैलता चला गया। योग और आयुर्वेद, दोनों विधाओं को मनुष्य ने प्रकृति से सीखा है। आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आज आधुनिक मनुष्य को योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है। डॉक्टर भी सेहतमंद रहने के लिए योग करने की सलाह देते हैं। खासकर कोरोना काल में इसका महत्व बहुत बढ़ गया है।
अंतरिक्ष में योग का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि मनुष्यजाति को अब और आगे प्रगति करना है तो योग सीखना ही होगा। अंतरिक्ष में जाना है, नए ग्रहों की खोज करना है। शरीर और मन को स्वस्थ और संतुलित रखते हुए अंतरिक्ष में लम्बा समय बिताना है तो विज्ञान को योग की महत्ता और महत्व को समझना होगा। भविष्य का धर्म दरअसल योग भविष्य का धर्म और विज्ञान है। भविष्य में योग का महत्व बढ़ेगा। यौगिक क्रियाओं से वह सब कुछ बदला जा सकता है जो हमें प्रकृति ने दिया है और वह सब कुछ पाया जा सकता है जो हमें प्रकृति ने नहीं दिया है।
योग के कई आसन हैं। इनमें एक आसन भुजंगासन है। यह आसन कई रोगों में फायदेमंद साबित होता है। खासकर अस्थमा के लिए यह रामबाण इलाज है। साथ ही भुजंगासन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके कई अन्य फायदे भी हैं। योग विशेषज्ञ लोगों को रोजाना भुजंगासन करने की सलाह देते हैं। आइए, भुजंगासन के बारे में सबकुछ जानते हैं-
भुजंगासन दो शब्दों भुजंग और आसन से मिलकर बना है। इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन (संस्कृत: भुजंगसन) कहा जाता है। भुजंगासन सुर्य नमस्कार के 12 आसनों में 7 वे नंबर आनेवाला एक आसन हैं, भुजंगासन में ‘ भुजंग ‘ का अर्थ होता हैं, साप और’ आसन ‘ का अर्थ होता हैं, योग मुद्रा। इस आसन को करते वक्त फन फैलाये हुऐ साप की तरह शरीर की आकृति बनती हैं, इसिलिए इसे यह नाम दिया गया हैं। भुजंगासन पदमासन का एक महत्वपूर्ण आसन हैं, इसे सर्पासन भी कहते है, और यह अष्टांग योग का भी एक प्रमुख आसन हैं,
अंग्रेजी में इसे कोबरा पोज ( cobra pose ) कहते हैं। इस योग में सांप की तरह अपने धड़ को आगे की दिशा में उठाकर रखना होता है। इस योग को करने से पेट पर अधिक बल पड़ता है। इससे पाचन तंत्र बहुत मज़बूत होता है। अगर आपको पेट संबंधी कोई भी समस्या है, तो रोज़ाना भुजंगासन करें।
जंगासन के फायदे
इस आसन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है। और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए। इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचन-प्रणाली की कोमल पेशियाँ मजबूत बनती है।
इससे पेट की चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है और आयु बढ़ने के कारण से पेट के नीचे के हिस्से की पेशियों को ढीला होने से रोकने में सहायता मिलती है। इससे बाजुओं में शक्ति मिलती है। पीठ में स्थित इड़ा और पिंगला नाडि़यों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। विशेषकर, मस्तिष्क से निकलने वाले ज्ञानतंतु बलवान बनते है। पीठ की हड्डियों में रहने वाली तमाम खराबियाँ दूर होती है। कब्ज दूर होता है। तथा बवाशीर मे भी लाभ देता है।
1) सायटिका में फायदेमंद – सायटिका एक बिमारी होती हैं, जो तंत्रिका जो रीढ के पिछे होती है, जो हमारे पीठ से निकलकर निंतबो से होते हुऐ, पैरों तक जाती हैं, उसमें तेज दर्द होता हैं, रोजाना भुजंगासन करने से सायटिका में काफी मदत मिलती हैं, क्योंकि इसमें रीढ की हड्डी लचीली बनती हैं।
2) पाचन में फायदेमंद – भुजंगासन करने वाले व्यक्ति का पाचन अच्छा रेहता हैं, और उन्हें कब्ज एसीडिटी की समस्या नहीं होती ,इसके आलावा उस व्यक्ति को मल त्याग ने में भी परेशानी नहीं होती , और पेट भी साफ रेहता हैं।
3) किडनी के लिए फायदेमंद – नियमित भुजंगासन करने से हमारे शरीर की संकुचित रेहती हैं, जिससे वहा खुन का ठेहराव होता हैं, इससे किडनी का कार्य अच्छा रेहता हैं, इसके आलावा यह फेेेफडों को भी ठिक रेहता हैं, जिससे सांस लेने में दिक्कत नहीं आती हैं।
4) तनाव दूर करें- यह आसन तनाव को कम करनेवाले एडरनल ग्रंथी को प्रभावित करता हैं, और इस के स्त्राव में भी मदत करता हैं, जिससे तनाव, चिंता, डिप्रेशन को कम करने में यह आसन उपयोगी होता हैं।
5) मधुमेह में फायदेमंद – भुजंगासन मधुमेह को कम करने में भी फायदेमंद होता, इसे नियमित करने से इंन्सुलिन मात्रा सही बनी रेहती है और यह रक्तपरिसंचरण भी अच्छा बना रेहता हैं।
6) हड्डियों को लचीला बनाता हैं- भुजंगासन करने वाले व्यक्ति की रीढ की हड्डी मजबूत बनती हैं, और यह लचीली भी होती हैं, इसके आलावा यह छाती, कंधे, भुजाओं और पेट की मांसपेशीयो को मजबूत करने में फायदेमंद होता हैं।
7) पीठ दर्द दूर करें – भुजंगासन करने से पीठ दर्द में भी राहत मिलती हैं, क्योकि इससे रीढ की हड्डी लचीली और मजबूत बनती है।
8) रक्तपरिसंचरण सुधारें – भुजंगासन करने से रक्त का प्रवाह अच्छा होता हैं, और इससे उनका मन भी शांत रहता हैं, चिड़चिड़ापन और गुस्सा भी कम आता हैं।
9) अस्थमा में फायदेमंद- यह आसन अस्थमा रोगीयों के लिए बहोतही लाभकारी होता हैं, और इससे फैफड़ों में खिचाव आता हैं, और उसमें ऑक्सीजन भी अंदर बहोत जाती हैं, जिसवजह सें सांस की सारी समस्या खत्म होती हैं।
10) स्लीप डीक्स में फायदेमंद – यह आसन नियमित करने से स्लीप डिक्स की समस्या भी धीरे धीरे कम होती हैं।
11) थायराइड में फायदेमंद- यह आसन थायराइड और पैैैराथायराइड ग्रंथी को सक्रिय करता हैं, रोज 5 मिनट का भुजंगासन थायराइड को कम करने में मदत करता हैं।
12) महिलाओं की माहावारी चक्र में फायदेमंद:- भुजंगासन महिलाओं के लिए भी फायदेमंद होता हैं, खासतौर पर महिलाओं के मासिकधर्म में यह उन्हें बहुत ही राहत देता हैं।
कैसे करें भुजंगासन
1. पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अपनी दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ करके रखें। ध्यान रखें कि आपके टखने एक-दूसरे को छूते रहें।
2. इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ करें।
3. अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस भीतर खींचें और अपने सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें। ध्यान दें कि इस वक्त तक आपकी कुहनी मुड़ी हुई है।
4. इसके बाद अपने सिर को पीछे की तरफ खीचें और साथ ही अपनी छाती को भी आगे की तरफ निकालें। सिर को सांप के फन की तरह खींचकर रखें। लेकिन ध्यान दें कि आपके कंधे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बने रहें।
5. इसके बाद अपने हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं।
6. शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें और सांस की गति सामान्य बनाए रखें। ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है। लगातार अभ्यास के बाद आप इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं।
7. इस मुद्रा को छोड़ने के लिए, धीरे-धीरे अपने हाथों को वापस साइड पर लेकर आएं। अपने सिर को फर्श पर विश्राम दें। अपने हाथों को सिर के नीचे रखें। बाद में धीरे से अपने सिर को एक तरफ मोड़ लें और धीमी गति से दो मिनट तक सांस लें।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।