मुंबई । व्हीएसआरएस न्यूज़ : कोरोना के लगातर बढ़ते मामले लोगों को डराने वाले हैं। जहां कोरोना की पहली लहर बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक मानी जा रही ही थी, वहीं दूसरी लहर में युवा और बच्चे तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। ये चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि बच्चों के लिए अभी कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं बन सकी है।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर में क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, हर उम्र के लोग इसका शिकार हो रहे हैं। कोविड-19 की मौजूदा लहर किसी को भी नहीं बख्श रही है। दिल्ली के अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि उनके यहां 8 महीने से लेकर 12 साल तक के बच्चे भर्ती हो रहे हैं, जिनको कोरोना वायरस है। बच्चों में बुखार और निमोनिया जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं। वहीं गुजरात में कोरोना से होने वाली कुल मौतों में 15 फीसदी मौतें युवा मरीजों की है। गुजरात के सूरत में एक 14 दिन के बच्चे की कोरोना से मौत हो गई है। हरियाणा में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों में से 8 फीसदी संक्रमण के केस बच्चों के हैं। जबकि पिछली लहर में ये आंकड़ा महज एक फीसदी था। इससे पहले, यह माना जाता था कि बच्चों को कोविड-19 ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा था। बच्चों में कोरोना के हल्के और दुर्लभ लक्षण ही दिखाई दे रहे थे। लेकिन अब बच्चों को ज्यादा सावधान रहने की नसीहत दी जा रही है।
कोरोना की पहली लहर का सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों पर पड़ा था वहीं इस लहर के सबसे ज्यादा मामले स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में सामने आ रहे हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये वायरस इस बार किस तरह युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है । कुछ महामारी वैज्ञानिकों का मानना है कि नया स्ट्रेन बच्चों के इम्यून सिस्टम को खराब कर सकता है जिसकी वजह से वो जल्दी बीमार पड़ सकते हैं।
कोरोना के पहली लहर में माना जा रहा था कि बच्चे एसिम्टोमैटिक हो सकते हैं और उनसे घर के सदस्यों में कोरोना फैलने का खतरा हो सकता है। वहीं इस लहर में बड़ों से पहले बच्चों में ही लक्षण दिखाई दे सकते हैं और वो दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। बच्चों में कोरोना के लक्षण दिखने से डॉक्टर्स भी चिंतित हैं। ये लक्षण 2 से 16 तक के बच्चों में सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं । अस्पतालों में बच्चों की बढ़ती संख्या भी डॉक्टर्स के लिए परेशानी का सबब बन रही है।
क्या हैं कारण- बच्चों का अचानक बाहर ज्यादा निकलना, स्कूल-कॉलेज का खुल जाना, लोगों से मिलना, ग्रुप में खेलना, खराब हाईजीन और मास्क ना पहनने जैसे कुछ वजहों से ये नया वेरिएंट बच्चों को आसानी से अपने चपेट में ले रहा है।
क्या हैं लक्षण- बुखार, सिर दर्द, कफ और कोल्ड जैसे कोरोना के आम लक्षणों के अलावा स्किन रैशेज, कोविड टोज, लाल आंखें, शरीर और जोड़ों का दर्द, मिचली, पेट में ऐंठन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी दिक्कतें, फटे होंठ, थकान और सुस्ती जैसे लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज ना करें। छोटे बच्चों और नवजात में स्किन के रंग का बदलना, बहुत ज्यादा बुखार, भूख ना लगना, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, होठों- त्वचा में सूजन और मुंह में छाले जैसे लक्षण हो सकते हैं।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि उनके लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं आई है। दूसरी तरफ, कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड में कई बदलाव हो चुके हैं और नए वैरिएंट एंटीबॉडी और प्रतिरक्षा प्रणाली को झांसा देने में सक्षम हो गए हैं। वायरस से जुड़े स्पाइक प्रोटीन भी आक्रामक हो गए हैं। इसलिए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस में जितना ज्यादा म्युटेशन होगा और जितने अधिक नए वैरिएंट आएंगे बच्चों के लिए खतरा उतना बढ़ता जाएगा। उदाहरण के लिए भारत के डबल म्यूटेंट वैरिएंट से 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व किशोरों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है।
बच्चे जब भी घर से बाहर निकलें तो उन्हें मास्क पहनने के लिए कहें। बार-बार हाथ धोने अथवा सैनिटाइज करने की आदत डालें। फिलहाल पार्क आदि सार्वजनिक जगहों पर भेजने से परहेज करें।