National News प्रयागराज(व्हीएसआरएस न्यूज) गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की सनसनीखेज हत्या के बाद उनकी सुरक्षा में तैनात 17 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। शनिवार को तीन हमलावरों ने अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद पूरे राज्य में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है। अतीक-अशरफ के कातिल लवलेश, सनी और अरुण के घर पहुंची पुलिस। उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात काल्विन अस्पताल के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई। दोनों को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए काल्विन अस्पताल परीक्षण के लिए ले जाया जा रहा था। उसी समय 10 फायर किए गए। अतीक की कनपटी पर सटाकर एक गोली मारी गई। अज्ञात वाहनों से आए हमलावरों ने सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम देने के बाद समर्पण कर दिया। घटना के बाद जिले की सीमा को सील कर दिया है। मौके पर आरएएफ को भी बुला लिया गया है।
दूसरी ओर,5 कालीदास मार्ग स्थित योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही प्रयागराज में धारा 144 लगा दी गई है। सभी थाना प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र में जाने के लिए कहा गया है। प्रयागराज में इंटरनेट भी बंद कर दिया है। साथ ही इस घटना के बाद कानपुर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।इस बीच, प्रयागराज के चकिया क्षेत्र में पथराव की खबर है। अतीक अहमद प्रयागराज के चकिया क्षेत्र का ही रहने वाला था। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया है। प्रदेश के सभी जिलों में सीआरपीसी की धारा-144 लागू।
सनी सिंह के खिलाफ 15 केस दर्ज
सनी सिंह हमीरपुर जिले के कुरारा कस्बे का रहने वाला है. वो कुरारा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर है, जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 281 है. उसके खिलाफ करीब 15 केस दर्ज हैं. उसके भाई पिंटू ने बताया कि वो बीते 10 साल से अपने घर नहीं आया है. सनी के पिता जगत सिंह और मां की मौत हो चुकी है.सनी के तीन भाई थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और दूसरा भाई पिंटू घर पर रहता है और चाय की दुकान चलाता है. भाई ने बताया कि ये ऐसे ही घूमता-फिरता रहता था और फालतू के काम करता रहता था. हम उससे अलग रहते हैं, वो बचपन में ही घर से भाग गया था.
अरुण के खिलाफ कई मामले
अतीक-अशरफ हत्याकांड में कासगंज का अरुण उर्फ कालिया भी शामिल था. वो सोरों थाना क्षेत्र के बघेला पुख्ता का रहने वाला है. अरुण के पिता का नाम हीरालाल बताया जा रहा है. वो छह साल से बाहर रह रहा था. उसके माता-पिता की मौत करीब 15 पहले हो चुकी थी.अरुण ने जीआरपी थाने में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी, जिसके बाद से ही वो फरार है.
पहले भी जेल जा चुका है लवलेश
बांदा में लवलेश तिवारी के घर का पता चल गया है. वो शहर कोतवाली के क्योतरा इलाके का रहने वाला है. उसके पिता ने आजतक से बातकरते हुए कहा कि हमसे उसका कोई मतलब नहीं था. वह कभी-कभी ही घर आता-जाता था. 5-6 दिन पहले ही बांदा आया था. लवलेश इससे पहले एक मामले में जेल भी जा चुका है.
पिता तांगा चलाते थे और बेटे ने 17 साल की उम्र में पहला मर्डर कर दिया
10 अगस्त 1962 को इलाहाबाद में अतीक अहमद का जन्म हुआ। पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर परिवार चलाते थे। अतीक घर के पास में स्थित एक स्कूल में पढ़ने लगा। 10वीं में पहुंचा तो फेल हो गया। इस बीच, वह इलाके के कई बदमाशों की संगत में आ गया। जल्दी अमीर बनने के लिए उसने लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। 1997 में उसपर हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ। उस समय इलाहाबाद के पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था। चांद बाबा इलाहाबाद का बड़ा गुंडा माना जाता था। आम जनता, पुलिस और राजनेता हर कोई चांद बाबा से परेशान थे। अतीक अहमद ने इसका फायदा उठाया। पुलिस और नेताओं से सांठगांठ हो गई और कुछ ही सालों में वह चांद बाबा से भी बड़ा बदमाश बन गया। जिस पुलिस ने अतीक को शह दे रखी थी, अब वही उसकी आंख की किरकिरी बन गया।
1989 में अतीक ने रखा राजनीति में कदम
1986 में किसी तरह पुलिस ने अतीक को गिरफ्तार कर लिया। इसपर उसने अपनी राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाया। दिल्ली से फोन पहुंचा और अतीक जेल से बाहर हो गया। जेल से छूटने के बाद अतीक ने साल 1989 में राजनीति में कदम रखा। इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। यहां उसका सीधा मुकाबला चांद बाबा से था। दोनों के बीच गैंगवार शुरू हो गया। अतीक की दहशत से पूरा इलाहाबाद कांपता था। कब्जा, लूट, छिनैती, हत्या ये सब उसके लिए आम सा हो गया। इसी की बदौलत वह चुनाव भी जीत गया। इसके कुछ महीनों बाद ही बीच चौराहे पर दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या हो गई।
लगातार पांच बार इलाहाबाद पश्चिमी सीट से रहा विधायक
चांद बाबा मारा गया तो इलाहाबाद ही नहीं, पूरे पूर्वांचल में अपराध की दुनिया में अतीक अहमद का सिक्का चलने लगा। साल 1991 और 1993 में भी अतीक निर्दलीय चुनाव जीता। साल 1995 में लखनऊ के चर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी उसका नाम सामने आया। साल 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बना। साल 1999 में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा और हार गया। फिर 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से पांचवीं बार विधायक बना।आठ अगस्त 2002 की बात है। तब सूबे में बसपा का शासन था और मायावती मुख्यमंत्री थीं। अतीक को किसी मामले में पुलिस ने पकड़ा था और उसे जेल भेज दिया गया था। पेशी के लिए आठ अगस्त को उसे कोर्ट ले जाया जा रहा था। इसी बीच, उसपर गोलियों और बम से हमला हो गया। इसमें अतीक घायल हो गया, लेकिन उसकी जान बच गई। तब अतीक ने बसपा सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती पर आरोप लगाया था कि वह उसे मरवाना चाहती हैं।
अतीक के खिलाफ नहीं मिलते थे उम्मीदवार
अतीक आतंक का पर्याय बन चुका था। उसकी दहशत ने आम लोगों के साथ-साथ राजनीतिक हस्तियों को भी परेशान करना शुरू कर दिया। उसका खौफ इतना हो गया था कि शहर पश्चिमी से कोई उसके खिलाफ चुनाव लड़ने से भी डरता था। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद सपा के टिकट पर इलाहाबाद की फूलपुर सीट से चुनाव जीत गया। उस वक्त अतीक इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक था। इस सीट से अब वह अपने छोटे भाई अशरफ को चुनाव लड़ाने की तैयारी करने लगा।