Pcmc News पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) दुनिया के कई देश डॉक्टर,नर्स,इंजीनियर,कुशल श्रमिक जैसी कुशल जनशक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। राज्यपाल रमेश बैस ने जोर देकर कहा कि स्नातकों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और दुनिया के किसी भी हिस्से में काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
डॉ.डी. वाई पाटिल विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। अरुण फ़िरोदिया,काइनेटिक ग्रुप के अध्यक्ष,प्राज इंडस्ट्रीज लिमिटेड संस्थापक एवं कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.प्रमोद चौधरी और प्रधान सलाहकार,गुणवत्ता आश्वासन और उत्कृष्टता इकाई,रामय्या संस्था समूह,बैंगलोर पी. एन. राजदान को मानद ’डॉक्टर ऑफ साइंस’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम डॉ.डी.वाई पाटिल विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. पी. डी. पाटिल,प्र.चांसलर डॉ.भाग्यश्री पाटिल,चांसलर डॉ. एन जे पवार,विभिन्न संकायों के डीन उपस्थित थे।
राज्यपाल श्री. बैस ने कहा, आजादी के बाद पहली बार हम क्रांतिकारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपना रहे हैं। यह नीति अध्ययन प्रक्रिया में गतिशीलता लाने का एक प्रयास है। इससे भारत में उच्च शिक्षा का स्तर और ऊपर उठेगा और छात्रों को सर्वांगीण विकास का अवसर मिलेगा। माना जाता है कि भारत 2035 तक शिक्षा के लिए 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) का वांछित लक्ष्य हासिल कर लेगा। राज्यपाल ने यह भी कहा कि हमारी जनसंख्या को धन में परिवर्तित करने के प्रयास किये जाने चाहिए।