हाथरस (व्हीएसआरएस न्यूज) शुक्रवार को गैंगरेप पीड़िता के गांव बूलगढ़ी के पास ही स्थित बघना गांव में 12 गांवों के ठाकुरों और सवर्णों की पंचायत हुई,जिसमें आरोपियों की रिहाई के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया।
पीड़िता के गांव के सभी सवर्ण एकजुट हो गए हैं,इनमें ठाकुर और ब्राह्मण भी शामिल है,गांव में दलितों के गिने-चुने घर ही हैं,अब वो बिलकुल अलग-थलग हो जाएंगे
शुक्रवार को बघना गांव में हुई पंचायत में मामले की सीबीआई जांच की मांग करने और आरोपियों को न्याय दिलाने का आह्वान किया गया। हाथरस गैंगरेप मामले में एक ओर जहां देशभर में आक्रोश भड़का है,लोग पीड़िता के लिए न्याय मांग रहे हैं वहीं अब लोग जातिवाद के आधार पर आरोपियों के समर्थन में भी लोग लामबंद हो रहे हैं।शुक्रवार को बूलगढ़ी गांव के पास ही स्थित बघना गांव में ठाकुर समुदाय की पंचायत हुई जिसमें आरोपियों की रिहाई के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस पंचायत में बूलगढ़ी और आसपास के एक दर्जन गांव के ठाकुर और सवर्ण समाज के लोग शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इस घटना की आड़ में सवर्णों को निशाना बनाया जा रहा है और सवर्ण समाज के खिलाफ दलितों का आक्रोश भड़काया जा रहा है।
उनका कहना था कि जब मेडिकल रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि ही नहीं हुई है तब आरोपियों को किस आधार पर निशाना बनाया गया है। इस घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए दोनों पक्षों के नार्कों टेस्ट कराए जाने की मांग की है। साथ ही ये फैसला भी लिया गया कि पीड़िता के गांव में किसी बाहरी को घुसने नहीं दिया जाएगा। कल ही ठाकुर समाज से संबंध रखने वाले एक पूर्व विधायक ने बयान दिया था कि लड़की की हत्या में उसके परिजन ही शामिल हैं। इस तरह की खबरों से पीड़िता के परिजनों की बेचैनी और बढ़ रही हैं।
बूलगढ़ी गांव के एक ठाकुर युवक ने बताया कि पंचायत के बाद से ही माहौल बदल गया है और अब लोग दलित परिवार के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। इस गांव में दलितों के गिने-चुने घर हैं। ठाकुरों और ब्राह्मणों के एक साथ आने के बाद उनके लिए हालात अब और भी मुश्किल हो जाएंगे। बात करने के दौरान युवक बहुत डरा हुआ था कि कहीं गांव में समाज के लोगों को ये ना पता चल जाए कि उसने मीडिया से बात की है।
उसने बताया कि गांव के लोग अब पुलिस के साथ हैं और चाहते हैं कि मीडिया अब गांव में ना आए। ठाकुर समाज को लग रहा है कि मीडिया ने सिर्फ पीड़ित परिवार का पक्ष दिखाया है और आरोपियों के परिजनों का पक्ष नजरअंदाज किया है।
जब मैंने उससे पूछा कि क्या लोग उनके घर हालचाल लेने या सांत्वना देने जा रहे हैं, तो उसने कहा कि गांव के लोग बहुत डरे हुए हैं इसलिए नहीं जा रहे हैं। कोई जाना भी चाहें वो पुलिस की वजह से नहीं जा पा रहे हैं। पीड़िता के घर के बाहर पुलिस ही पुलिस है।