पुणे । व्हीएसआरएस न्यूज़ : महाराष्ट्र में कोरोनावायरस के कोहराम से पहले नाइट कर्फ्यू, फिर वीकेंड लॉकडाउन और अब मिनी लॉकडाउन के बावजूद कोरोना संक्रमण कहर थमता नजर नहीं आ रहा है। शुक्रवार को आए रिकॉर्ड 63,729 संक्रमित और 398 लोगों की मौत के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने संकेत दिया है कि यदि स्थिति नहीं बदली तो आने वाले दिनों में मिनी लॉकडाउन पिछले साल की तरह पूर्ण लॉकडाउन में बदल सकता है। महाराष्ट्र में 1 मई सुबह 7 बजे तक धारा 144 और कई तरह की पाबंदियां लागू हैं।
राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सख्त लहजे में लोगों को चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि , ”यदि मौजूदा कोविड प्रतिबंधों का लोग पालन नहीं करते हैं तो हमें पिछले साल की तरह सख्त लॉकडाउन लगाना होगा।” मंगलवार को कोरोना प्रतिबंधों का ऐलान करते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लोगों से अपील की थी कि बेवजह घर से बाहर ना निकलें। हालांकि, राज्य में कई जगहों पर लोग पाबंदियों का उल्लंघन करते हुए भी दिख रहे हैं। अगर लोग मौजूदा कोविड प्रतिबंधों को नहीं मानते हैं तो हमें पिछले साल जैसा लॉकडाउन लगाना पड़ेगा।
वार्षिक कोष से 1 करोड़ रुपये तक खर्च करने की अनुमति : महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने शुक्रवार को कहा कि सभी विधायकों/ एमएलसी को उनके निर्वाचन क्षेत्र में कोविड-19 से संबंधित कार्यों के लिए उन्हें दिए जाने वाले वार्षिक कोष से 1 करोड़ रुपये तक खर्च करने की अनुमति दी गई है। जबकि पिछले साल 50 लाख रुपये खर्च करने अनुमति दी गई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि रााज्य में लगाए गए कोरोना संबंधी प्रतिबंधों का यदि लोग पालन नहीं करते हैं, तो हमें पिछले साल की तरह तालाबंदी लॉकडाउन करनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के परिजन डॉक्टरों को संक्रमण की गंभीरता की परवाह किए बिना रेमडेसिविर दवा की व्यवस्था करने का दबाव बनाते हैं। ऐसे में मैं डॉक्टरों से केवल महत्वपूर्ण मामलों में रेमडेसिविर का उपयोग करने का अनुरोध करता हूं, चाहे इस व्यवस्था के लिए कुछ भी करना पड़े। हम भी इस पर काम कर रहे हैं।
इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री ने रेमडेसिविर दवा के कथित दुरुपयोग को लेकर लोगों से अपील की। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में मरीजों के परिवारवाले डॉक्टरों पर रेमडेसिविर की व्यवस्था करने का दबाव बना रहे हैं। वह मरीज के संक्रमण के स्तर को जाने बिना ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं कि वे केवल गंभीर मामलों में ही रेमडेसिविर का इस्तेमाल करें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को इस दवा की व्यवस्था करने की जरूरत नहीं है. महाराष्ट्र सरकार इस दिशा में काम कर रही है।