गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: वरीरायभान गांव से चोरी अष्टधातु की मूर्ति का मामला पुलिस की लापरवाही से लंबा खिंचता जा रहा है। मूर्ति पाने की आस में भक्त एक बार फिर कोर्ट से निराश लौटे। लगातार तीसरी तारीख को भी पहचान के लिए हथुआ के थानाध्यक्ष ने कोर्ट में राधाकृष्ण की मूर्ति पेश नहीं की।
वे खुद भी कोर्ट नहीं आ रहे हैं। मामले के सूचक ने आशंका व्यक्त की है कि संभवत: पुलिस की मिलीभगत से थाने के मालखाने से मूर्ति गायब कर दी गई है, जो चोरी के पांच साल बाद वरीरायभान गांव के तालाब से खुदाई के दौरान मिली थी।
मूर्ति हथुआ थाने की पुलिस ले गई थी, पर अब कोर्ट के आदेश के बावजूद पेश नहीं कर रही। भगवान के दर्शन के लिए भक्तों का इंतजार लंबा होता जा रहा है। थानाध्यक्ष के द्वारा न्यायिक आदेशों की लगातार अवहेलना, थानाध्यक्ष के द्वारा मूर्ति नहीं लाने और उनके खुद भी कोर्ट में हाजिर नहीं होने से खफा सीजेएम मानवेंद्र मिश्र ने एसपी को निर्देश दिया कि तत्काल डीएसपी स्तर के पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्त्व में जांच टीम गठित कर हथुआ थाने के मालखाने की जांच कराएं कि वास्तव में राधाकृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति मालखाने में है भी या नहीं।
जांच के दौरान यह भी पता लगाया जाय कि यदि तबादले के बाद कोई पदाधिकारी चाबी लेकर चला गया है तो थानाध्यक्ष ने वरीय पदाधिकारी को कार्रवाई की अनुशंसा की है अथवा नहीं। एसपी से इसका जवाब भी सीजेएम ने तलब किया है कि हथुआ थानाध्यक्ष के द्वारा किस परिस्थिति में कोर्ट के आदेश की लगातार अवहेलना की जा रही है।
सीजेएम ने जांच रिपोर्ट के आधार पर हथुआ थानाध्यक्ष के विरुद्ध ठोस दंडात्मक व विभागीय कार्यवाही कर कोर्ट को अवगत कराने का आदेश गोपालगंज के एसपी को दिया है। सीजेएम ने एक सप्ताह में एसपी से रिपोर्ट तलब की है।
सीजेएम ने कहा- एक सप्ताह में कार्रवाई कर एसपी कोर्ट को बताएं
पुलिस का बहाना- मालखाने की चाबी स्थानांतरित
अफसर ले गया जिला अभियोजन पदाधिकारी के माध्यम से कोर्ट को बताया गया है कि हथुआ थाने के मालखाने की चाबी तबादले के बाद एक पुलिस पदाधिकारी लेकर बक्सर चले गए हैं। इसलिए मालखाने से मूर्ति नहीं निकाली जा सकती।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि आशंका है कि अष्टधातु की मूर्ति पुलिस की मिलीभगत से थाने से गायब कर दी गई है। कोर्ट ने पूछा आखिर कोई अधिकारी मालखाने की चाबी लेकर चला गया है और उपलब्ध नहीं करा रहा है तो थानाध्यक्ष द्वारा इस तथ्य को लिखित रूप में अब तक वरीय पुलिस पदाधिकारी अथवा न्यायालय को अवगत क्यों नहीं कराया गया ?
दो दिन नहीं आए थानाध्यक्ष तो वेतन काटने का आदेश, फिर भी नहीं सुधरे
पिछली दो तिथियों 1 व 2 मार्च को आदेश के बावजूद थानाध्यक्ष द्वारा मूर्ति नहीं लाने या खुद कोर्ट में उपस्थित नहीं होने से न्यायिक प्रक्रिया में व्यवधान पड़ा था। सीजेएम के द्वारा स्थगन खर्चे के रूप में कोर्ट ने उनके वेतन से एक हजार रुपए काटने का आदेश दिया था। इसके बावजूद तीसरी तिथि अर्थात मंगलवार को भी थानाध्यक्ष कोर्ट की कार्यवाही के दौरान नहीं पहुंचे।