उचकागांव | व्हीएसआरएस संवाददाता: दुधारू पशुओं के पालन में पशुपालकों को आगे लाने के लिए मनरेगा की राशि से बड़े पैमाने पर उचकागांव प्रखंड में पशु शेड का निर्माण का कराया गया है। पशु शेड में पशुपालकों को दुधारू पशु रखकर दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उचकागांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काफी संख्या में पशु शेड बनाने की योजना शुरू की गई।
14 पंचायतों में योजना को अमलीजामा पहनाने हेतु पंचायत रोजगार सेवक को जिम्मेवारी दी गई। लेकिन शुरुआती काल में ही सरकार के इतने महत्वपूर्ण योजना को उद्देश्य विहीन बनाने पर कई जगहों से सवाल खड़े होने लगे। लोगों द्वारा उठाए गए सवाल पर पदाधिकारी स्तर से कार्रवाई नहीं हुई और फिर योजना जरूरतमंदों के बजाय पहुंच वालों के हाथ में चली गई।
अधिकतर जगहों पर हालत यह हुई कि वहां पशु शेड बनाने के बदले कहीं दलान बना दिए गए तो कहीं गोदाम। कई जगहों पर लोगों ने पशु शेड की आड़ में जलावन रखने का स्टोर ही बना दिया गया।
उचकागांव प्रखंड के बैरिया दुर्ग पंचायत में जब मनरेगा से बने पशु शेड की पड़ताल की गई तो काफी ही गड़बड़ी सामने आयी| पंचायत के खान बैरिया गांव में अकेले 52 पशु शेड बनाए गए है जहां दर्जन भर पशु शेड ऐसे है जहां पर पशु नहीं रखे जा रहे है
बैरिया दुर्ग में ढाई सौ पशु शेड बनाने का था लक्ष्य: पशु शेड के निर्माण पर मनरेगा विभाग कम से कम डेढ़ लाख और अधिक से अधिक 2 लाख तक की राशि खर्च करती है। प्रखंड क्षेत्र में ढाई सौ पशु शेड बनाने का लक्ष्य रखा गया जिसमें से एक सौ के करीब पशु शेड का बन चुका है। वर्तमान में जितने लोगों के घर पशु शेड बनाए गए उनमें से कईयों को एक भी पशु नहीं है। दूसरों का पशु दिखाकर शेड का लाभ लेने वाले लोग आज की तारीख में भी अपने दरवाजे पर पशु नहीं ला सके हैं। वैसे भी कई जगह पर विभागीय स्तर से दिए गए मॉडल के विपरीत पशु शेड बनाए गए जो अपने आप में बड़ा सवाल है।
कई पशु शेड हो गए है ध्वस्त : बैरिया दुर्ग पंचायत में बने कई पशु शेड ध्वस्त हो चुके है| कई के छप्पर डैमेज हो गए है तो कई के नाद धंस गए है| नीचे का फर्श को पक्कीकरण नहीं किया गया है| ऐसे में उसकी उपयोगिता खत्म हो रही है| खान बैरिया गांव के अलाउद्दीन खान व नुरेन मियां ने बताया कि सरकारी राशि की बंदर बांट की गई है| कोई भी पशु शेड गुणवता पूर्ण नहीं बना है| एक -दो को छोड़ कर बाकी पशु शेड लोगों का दालान या भूसा -जलावन रखने का स्टोर बन गया है| इस योजना पर लाखों रुपए खर्च किए गए है इसकी जांच होनी चाहिए|
लाखों खर्च के बाद भी दुग्ध उत्पादन में नहीं हुई बढ़ोतरी
प्रखंड क्षेत्र में पशु शेड के नाम पर सरकार ने मनरेगा विभाग से लाखों में राशि खर्च की, लेकिन इस दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। प्रखंड क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन की जो स्थिति पहले थी वही अभी भी है। जबकि सरकार का लक्ष्य है कि पशु शेड में लोग दुधारू पशु को रखें और उससे रोजगार प्राप्त करें।
मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी अनिल सिंह का कहना है कि कुछ लोग पशु शेड को दालान या जलावन रखने का स्टोर बनाए है ऐसे लोगों पर कर्रवाई की जाएगी। वैसे लोगों को चेतावनी दी गई है कि पशु शेड का दुरुपयोग ना हो। संबंधित रोजगार सेवक से इस बारे में जानकारी ली जा रही है और फिर आगे की कार्यवाही होगी।