गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिन जश्ने ईद मिलादुन्नबी गुरुवार को मनाया गया। कौमी सद्भावना जुलूस निकाला गया। मदरसा चिश्तिया अनवारुल कुरान तिरबिरवा के लोगों ने हाथों में हरी झंडी लेकर जुलूस में शामिल हुए। जो जुलूस नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए गुजरा।
जुलूस का कई स्थानों पर हिंदू, मुस्लिम, सिख समाज के लोगों ने सौंफ, मिठाई, फलों को वितरित कर स्वागत किया। एकता-भाईचारे का दिया गया संदेश। हजरत मोहम्मद साहब के यौमे पैदाइश के अवसर पर पहले की तरह इस साल भी मदरसा चिश्तिया अनवारुल कुरान तिरबिरवा से पूरे जोश के साथ जलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। इस अवसर पर हजारों मुस्लिम समाज के लोगों के अलावा अन्य समाज के लोगों ने भी इसमें भाग लिया। इस अवसर पर जलूस में हजरत मोहम्मद के प्रेम, एकता और भाईचारे के संदेशों को भी पढ़कर सुनाया गया।
वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में ईद मिलाद-उन-नबी का ये जुलूस निकाला गया। इस अवसर पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए थे। इसके साथ ही शहर के इस्लामिया मोहल्ला, दरगाह, जंगलिया, तकिया व फतहा समेत अन्य जगहों से भी जुलूस निकाला गया। उधर, मदरसा चिश्तिया अनवारुल कुरान तिरबिरवा के हेड मदारिस सहिम शाहिद रहमानी ने कहा कि इस्लाम धर्म के लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या ईद-ए-मिलाद के रूप में मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ये त्योहार तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है।
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्लाम के तीसरे महीने यानि मिलाद उन-नबी की शुरुआत हो चुकी है। मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर लोग उनकी याद में जुलूस निकालते हैं। इस दिन जगह-जगह बड़े आयोजन भी किए जाते हैं। दुनिया भर में आज मिलाद उन-नबी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस्लाम धर्म के लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या ईद-ए-मिलाद के रूप में मनाते हैं।
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ये त्योहार तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म-अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 571 ईस्वी में 12 तारीख को हुआ था। पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे।
इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था। अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी। इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया।