गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से गुरुवार की दोपहर डॉक्टर करीब एक घंटे तक गायब रहे। डॉक्टर के गायब रहने के कारण इमरजेंसी वार्ड में इलाज कराने के लिए पहुंचे मरीज व उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
डॉक्टर के नदारद रहने से मरीज के परिजन नाराज हो गए थे और हंगामा करने पर उतारू थे। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने मरीजों और उनके परिजनों को समझा कर शांत कराया।
बताया जा रहा है कि मांझागढ़ थाना क्षेत्र के भवानीगंज गांव के मो. नुरैन आलम की पुत्री को करंट लग गया था जिससे वह अचेत हो गई थी। इलाज के लिए वह पहले सदर अस्पताल के ओपीडी वार्ड में गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भेज दिया। इमरजेंसी वार्ड में जब वह पहुंचे तो वहां डॉक्टर गायब थे। कर्मी ने पुर्जा देखने के बाद उन्हें इंतजार करने को कहा। काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी जब डॉक्टर नहीं आए तो उन्होंने मौके पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों पर नाराजगी जताई। उचकागांव थाने के बरारी जगदीश गांव से आए सेराज अंसारी ने बताया कि उसके बेटे के पेट में चोट लग गई थी। जिसे दिखाने के लिए वह सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में आया था। जहां डॉक्टर मौजूद थे।
उन्होंने अल्ट्रासाउंड कराने को कहा अल्ट्रासाउंड कराने के बाद जब वे रिपोर्ट दिखाने के लिए डॉक्टर के पास पहुंचे तो इमरजेंसी वार्ड से डॉक्टर गायब थे। काफी देर तक इंतजार करने के बाद डॉक्टर नहीं आए तो उसने सुरक्षाकर्मियों से डॉक्टर के बारे में पूछताछ की तो संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जिससे उसने भी नाराजगी जताई। इसके अलावा विश्वंभरपुर और गोपालगंज नगर थाना की पुलिस भी कुछ कैदियों को लेकर मेडिकल जांच कराने के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में आए हुए थे।
जहां डॉक्टरों के नहीं होने के कारण मेडिकल जांच में काफी देरी हुई। पुलिस कर्मियों का कहना था कि इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर के नहीं रहने के कारण कैदियों का मेडिकल जांच में देरी हो रही है। कोर्ट में देर से पहुंचेंगे तो कैदियों का रिमांड पाएगा। जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ेगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर हाजिरी बनाने के लिए ओपीडी वार्ड में गए थे। इस वार्ड में दो डॉक्टरों की तैनाती थी। लेकिन एक डॉक्टर का तबादला झझवा में हो गया है। इस कारण परेशानी हो रही है। इमरजेंसी के डॉक्टर हाजिरी बनाने के बाद मरीजों को देखने के लिए वहां पहुंच गए थे।
डॉ. वीरेंद्र कुमार, सीएस, सदर अस्पताल।