मीरगंज।व्हीएसआरएस संवाददाता: मीरगंज शहर के लोगों को एक साथ दो -दो सौगात मिलने जा रहा है| जहां शहर के हरखौली रेलवे ढाला के समीप 31 लाख की लागत से डीलक्स शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है।
वहीं हरखौली पूरब टोला वार्ड संख्या 15 में स्थायी आश्रय स्थल यानि रैन बसेरा का भवन बनना शुरू हो गया है। दोनों भवन जुलाई माह में बनकर तैयार हो जाएंगे। इससे शहर वासियों के अलावे बाहर में आने वाले लोगों को भी सहूलियत होगी।
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ अजीत कुमार शर्मा ने बताया कि लोगों की सहूलियत के लिए रेलवे स्टेशन के निकट में 31 लाख की लागत से दो मंजिला डीलक्स शौचालय भवन का निर्माण कराया जा रहा है।इसमें स्नानघर की सुविधा होगी|
10 सीटों का वाला यह शौचालय आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा |इसके परिसर को हरा भरा करने की भी योजना है ताकि लोगों को एक प्राकृतिक आनंद मिल सकें|
वहीं शहर के वार्ड संख्या 15 में बन रहे स्थायी आश्रय स्थल पर कुल 70 लाख रुपए की लागत आएगी| जिसमें यात्रियों के लिए बिछावन, भोजन, बिजली, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था रहेगी। यह भवन नगर विकास विभाग के द्वारा बनाया जा है। इस दो मंजिला आश्रय स्थल में तीन हॉल, एक रसोईघर व तीन शौचालय का निर्माण कराया जाएगा।
आश्रय स्थल में 50 लोगों के ठहरने के लिए 50 बेड की व्यवस्था होगी। ग्राउंड फ्लोर सहित दो दूसरे माले तक एक-एक हॉल, एक-एक शौचालय, एक रसोईघर बनाए गए हैं। यहां 24 घंटे बिजली पानी की भी सुविधा रहेगी। आश्रय स्थल का लाभ वैसे लोगों को मिलेगा जो आर्थिक रूप से अत्यंत कमजोर हैं। खासकर दिव्यांग, वृद्ध महिला और पुरुष भी इस सुविधा से लाभान्वित होंगे। मीरगंज के अलावा दूसरे क्षेत्र के वैसे लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा जो आगे की यात्रा करने में उस दिन असमर्थ होंगे।
यात्री अपनी पहचान पत्र उपलब्ध कराकर नि:शुल्क आश्रय स्थल में एक या ज्यादा से ज्यादा दो दिन तक वहां ठहर सकेंगे। इसकी निगरानी नगर परिषद करेगी। आश्रय स्थल का रख-रखाव समुचित ढंग से किया जाएगा। नियमानुसार रख-रखाव के लिए ही भोजन मद में कम से कम राशि का भुगतान लिया जाना है। कमरे में बिछावन, बिजली, पानी, कंबल की व्यवस्था नि:शुल्क रहेगी।
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कम शुल्क में भोजन की भी सुविधा होगी :
आश्रय स्थल में किचेन की भी व्यवस्था है। कम शुल्क में वहां ठहरने वाले लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। यह आश्रय स्थल किसी का स्थायी बसेरा के रूप में काम नहीं करेगा बल्कि एक रात या ज्यादा से ज्यादा दूसरे दिन तक ही वे वहां ठहर सकेंगे ताकि अन्य गरीब वर्ग के यात्रियों को इसका समुचित लाभ मिल सके।