- आज सलाना 5 से 6 लाख की होती आमदनी
गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: गोपालगंज की राजस्थानी जलेबी काफी पसंद की जा रही है। यह खास तरीके से बनाई जाती है। जलेबी बनाने के लिए मैदे के साथ खोए और दही के मिश्रण मिलाया जाता है।
जिस कारण जायका लाजवाब हो जाता है। जलेबी ऊपर से कुरकुरी और अंदर काफी नर्म होती है। मिठास के साथ खटास भी होता है। यही कारण है कि इन जलेबियों की डिमांड काफी ज्यादा है। गणतंत्र दिवस के मौके पर लोग खूब चाव से खा रहे हैं।
दुकान की शुरुआत जोधपुर निवासी जीतू दास और मनीष ने किया है। जीतू ने कहा कि रोजाना 40 से 45 किलो जलेबी की बिक्री होती है। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर जलेबी की बिक्री और भी बढ़ जाती है। इन त्योहारों पर 6 से 7 क्विंटल जलेबी की बिक्री होती है। सलाना 5 से 6 लाख की आमदनी हो जाती है।
जलेबी बनाने के लिए सबसे पहले मैदे को छान लिया जाता है। फिर इसमें खोया और दही मिलाकर अच्छी तरह से मिलाया जाता है। इस मिश्रण को थोड़ा पतला कर लिया जाता है। फिर इस मिश्रण को जलेबी के सांचे में डालकर गर्म तेल में तला जाता है। जलेबी को सुनहरा होने तक तला जाता है। फिर इसे तेल से निकालकर ठंडा होने दिया जाता है। ठंडी होने के बाद इसे चाशनी में डूबो दिया जाता है।
जोधपुर से गोपालगंज में धूमने आएं थे
शहर के कैलाश होटल के पास राजस्थानी जलेबी के नाम से इस दुकान के बारे में बताया जाता है की इसकी शुरुआत आज से दस वर्ष पूर्व जोधपुर निवासी दो युवक जीतू दास और मनीष ने की। दोनों धूमने के लिए गोपालगंज आएं थे। दोनों जलेबी बनाने की पारंपरिक तरीके से परिचित थे।
एक दिन वे दोनों शहर घूम में रहे थे, तभी उन्हें एक विचार आया। वे सोचने लगे कि क्यों न यहां पर जलेबी का कारोबार शुरू किया जाए।
शुरुआत में उन्हें कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कड़ी मेहनत की और अपने काम में निष्ठा से लगे रहे। जलेबी की दुकान लोकप्रिय होने लगी। लोग उनकी जलेबी की प्रशंसा करने लगे।