गोपालगंज।व्हीएसआरएस संवाददाता: लोकसभा में महागठबंधन के सांसदों के निलंबन के खिलाफ इंडिया महागठबंधन ने अंबेडकर चौक पर एक दिवसीय धरना दिया। धरना की अध्यक्षता जिला कांग्रेस के अध्यक्ष ओम प्रकाश गर्ग ने की।
धरना को संबोधित करते हुए जदयू के ज़िला अध्यक्ष आदित्य शंकर शाही ने कहा अहंकार के रथ पर सवार मोदी सरकार देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को कलंकित कर रही है। सरकार की हरकत देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण साबित हो रही है।
देश की जिस संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, मोदी सरकार उसी संसद में लोकतंत्र की हत्या करने पर उतारू हैं। इसी का नतीजा है कि संवेदनशील मुद्दे पर अपनी बात रखने की कोशिश कर रहे विपक्ष के 142 सांसदों को सरकार ने पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया है। अनर्गल और अश्लील तर्कों का सहारा लेकर सरकार विपक्ष का मुंह बंद कराने की कोशिश करने वाली सरकार शायद ये भूल गई है कि उसकी तानाशाही को पूरा देश देख रहा है।
ज़िला कॉंग्रेस कमिटी के अध्यक्ष ओम प्रकाश गर्ग ने अपने संबोधन में कहा की सरकार को बुनियादी और जरूरी मुद्दों पर मसखरी करने के अलावा कुछ नहीं आता। जहां सरकार की जवाबदेही और जिम्मेदारी की बात होती है, वहां खुद मोदी जी झूठ और जहर उगलते हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने वाली ऐसी सरकार को देश ने पहली बार देखा है। मूलभूत नैतिकता, मानवता और राजनीतिक शुचिता को घोंटकर पी जाने वाली सरकार ने दिखा दिया कि वो सत्ता के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकती है।
इस सरकार ने बीते नौ-दस सालों में एक ऐसी परंपरा डाल दी है, जिससे भारत के गौरवशाली लोकतंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंच रही है। मर्यादा और नैतिकता की बात करने वाले प्रधानमंत्री को संविधान और लोकतंत्र की जरा सी भी मर्यादा होती तो शायद आज संसद में लोकतंत्र के चीरहरण का खुला खेल न चल रहा होता।
ज़िला राजद के प्रधान महासचिव इम्तेयाज अली भुट्टो ने कहा की आखिर, जिन विपक्षी सांसदों को निलंबित किया, वो क्या कर रहे थे, संसद में घुसपैठ और सरकार की विफलता पर सवाल ही तो पूछ रहे थे। क्या सवाल पूछना और सरकार की नाकामियों का पर्दाफाश करना गुनाह है? आपको याद होगा, इसी संसद में जब मणिपुर जैसे शर्मनाक और संवेदनशील मुद्दों पर बोलने के लिए प्रधानमंत्री खड़े हुए, उन्होंने संसद को अपनी चुनावी रैलियों का मंच बना दिया। अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए विपक्ष के ऊपर झूठ, पाखंड, क्षुद्रता, संकीर्णता और मलीनता की हर सीमा पार कर दी।
इसी संसद में सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के लिए राहुल गांधी को संसद से बाहर कर दिया गया था। ये सब तानाशाही नहीं तो फिर क्या है? वही भाकपा माले के सच्चिदानंद ठाकुर, सीपीआई से मुन्ना प्रसाद और शिव नारायण बारी ने अपने अपने संबोधन में कहा की ये दुर्भाग्य है कि मोदी जी विपक्ष को राजनीतिक विरोधी की बजाय अपना दुश्मन मानते हैं।
इसलिए अब ये लड़ाई लोकतंत्र को बचाने और हिंदुस्तान के 140 करोड़ लोगों के बुनियादी अधिकारों को बचाने की है। एक तरफ भारतीय लोकतंत्र की आत्मा कांग्रेस है, दूसरी तरफ लोकतंत्र का गला घोंटने वाली भाजपा। भाजपा और संघ की लोकतंत्र के साथ अदावतें रही हैं, इनका याराना तो फासीवाद के साथ है। ऐसे में देशवासियों को आगे आना होगा, लोकतंत्र बचाने के लिए फासीवादी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देना होगा।
इस कार्यक्रम में कांग्रेस से विनोद कुमार तिवारी, पूर्व अध्यक्ष इफ़्तिख़ार हैदर, प्रेम नाथ राय शर्मा, राकेश तिवारी, बरौली प्रखंड अध्यक्ष शकील अख़्तर, थावे प्रखण्ड अध्यक्ष रेयाज़ अहमद, दलित नेता दिनेश कुमार माझीं, हसीब अख़्तर ख़ान, जदयू से राघवेंद्र सिंह, ज़िला उपाध्यक्ष ललन माँझी, अमरेन्द्र बारी, योगेन्द्र राम, मो. तौहीर, युवा राजद के प्रदेश महासचिव गुफरान रशीद मिंटू, जिला उपाध्यक्ष सुनील कुमार बारी, महासचिव लक्ष्मण यादव, युवा अध्यक्ष दिवाकर यादव, सुमन कुमार यादव व संजीव सिंह आदि काफी संख्या में लोग मौजूद थे।