गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: सदर अस्पताल में उस वक्त गहमागहमी की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब डॉक्टर और सीएस रोस्टर बदलने को लेकर आपस में उलझ गए। सीएस ने डॉक्टर पर धमकी देने और जबरन छुट्टी स्वीकृत कराने को लेकर दबाव बनाने का आरोप लगाकर पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा की मांग किया। साथ ही जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी। जबकि डॉक्टर ने इस पूरे मामले को निराधार बताया है।
मिली जानकारी अनुसार सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डो का निरीक्षण कर रहे थे। इसी बीच वे एसएनसीयू वार्ड में पहुंचे। लेकिन एसएनसीयू के डॉक्टर सौरभ अग्रवाल को ना देख आक्रोषित हो गए और उनके स्थान पर दुसरे डॉक्टर को देख कर पूछताछ के बाद एसएनसीयू से निकल गए। तभी जानकारी पाकर डॉ पहुंचे और रोस्टर में हुए अचानक बदलाव को लेकर अपनी बात कही।
इस बीच दोनों के बीच बहस होने लगी। जिसके बाद मौके पर कुछ देर के लिए गहमा गहमी उत्पन्न हो गई। इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ बिरेंद्र प्रसाद ने बताया कि जेई के संभावित प्रकोप को देखते हुए एसएनसीयू एवं पीकू का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान एसएनसीयू में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सौरभ अग्रवाल रोस्टर के अनुसार अनुपस्थित पाये गये।
इसी क्रम में डॉ अग्रवाल उपस्थित हुए, पुछने पर बताया गया कि “हम इसी तरह ड्यूटी करेगे”। उसके बाद उनके द्वारा एक अवकाश आवेदन पत्र ओपीडी के सर्जिकल चेम्बर में दिया गया और अवकाश स्वीकृति करने के लिए दवाब बनाने लगे।
इसके बाद पूरे मामले को लेकर गोपालगंज के जिलाधिकारी मोहम्मद मकसूद आलम को अवगत करा दिया है, साथ ही पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा मांगी है। साथ ही सिविल सर्जन ने विभागीय स्तर पर शोकॉज कर कार्रवाई करने की बात कही है।
डॉक्टर बोले-मेरी कोई गलती नहीं
वहीं, शिशु रोग चिकित्सक डॉ सौरभ अग्रवाल ने सिविल सर्जन के आरोप के बाद कहा कि अचानक रोस्टर में बदलाव कर दिया गया था। इसके पूर्व तीन डॉक्टर छोड़ कर चले गए थे। डॉक्टर की कमी के कारण मैं ओपीडी में काम कर रहा था।
बीच में सीएस साहब पहुंचे जहां दूसरे डॉक्टर काम कर रहे थे। सूचना के बाद मैं पहुंचा और तीन डाक्टर के छोड़ कर चले जाने की बात कही और जिस पर वे गुस्सा गए और उन्होंने कहा कि तुम भी छोड़ दो और इस्तीफा दे दो। जिसपर मैने कहा कि आपने मुझे नौकरी नहीं दिया हैं कि मैं आपके कहने पर इस्तीफा दे दूं।
इसके कुछ देर बाद मैंने घर की समस्याओं से अवगत कराते हुए छुट्टी लेना चाहा। लेकिन उन्होंने मुझे छुट्टी नहीं दी। इस दौरान मैंने कोई अपशब्द नहीं कहा, नाही उन्हें धमकी दी। जो भी आरोप उनके द्वारा लगाया गया है, वह निराधार है। वहां अन्य डॉक्टर भी मौजूद थे। इसकी जांच कराई जा सकती है। वे हमारे आदरणीय है। एक दिन में ही रोस्टर बदल कर उसी दिन लागू करवाना ये संभव नहीं हो पाया था। हमारे काम में कहीं गड़बड़ी नहीं हुई हैं। मैने हमेशा ही अपना काम ईमानदारी से किया है।