गोपालगंज। व्हीएसआरएस संवाददाता: गोपालगंज के हथुआ थाना क्षेत्र के वरीरायभान गांव के पोखरे से बरामद हुई अष्टधातु की मूर्ति को हथुआ थाना द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया जा सका।
वही सीजीएम मानवेंद्र मिश्रा के अदालत ने हथुआ थाना प्रभारी द्वारा न्यायिक आदेश का ससमय अनुपालन नहीं करने को लेकर स्थगन खर्च के रूप में हथुआ थाना प्रभारी के वेतन से एक हजार रूपया कटौती करने का निर्देश दिया है।
साथ ही अगली सुनवाई मंगलवार पांच मार्च को की जाएगी। इस संदर्भ में अभियोजन पदाधिकारी हीरालाल गुप्ता ने बताया कि इस मामले में आज सीजीएम मानवेंद्र मिश्रा के कोर्ट में सुनवाई की गई। वहीं विपिन बिहारी श्रीवास्तव राधा कृष्ण गोपीनाथ मंदिर के कुछ पुराने फोटो लेकर कोर्ट में उपस्थित हुए उनके तरफ से अधिवक्ता उक्त फोटोग्राफ को दाखिल कर निवेदन किया।
बरामद मूर्ति से की फोटो मिलाने की मांग
यह तब की फोटो है जब मंदिर में मूर्ति स्थापित था। बताया जा रहा है कि चोरी के घटना से पूर्व की है। इसे बरामद मूर्ति से मिलान कर लिया जाए और उनके पक्ष में मुक्त कर दिया जाए। जिला अभियोजन पदाधिकारी ने निवेदन किया कि हथुआ थाना प्रभारी मूर्ति लेकर उपस्थित नहीं हो सके हैं। अतः एक समय दिया जाये।
सुचक विपिन बिहारी श्रीवास्तव के अधिवक्ता निवेदन किया हैं कि 30 नवंबर 2023 से ही वे मूर्ति के मुक्ति के लिये प्रयासरत है। पूर्व में हथुआ थाना प्रभारी से मूर्ति के स्वामित्व एवं मुक्ति के संबंध में प्रतिवेदन की मांग की गयी। स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर 1 मार्च 2024 को भगवान की मूर्ति को न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।
लेकिन 1 मार्च 2024 को जिला अभियोजन पदाधिकारी के मौखिक निवेदन पर कि मूर्ति जिस बक्से में रखी है। उसकी चाभी जिस पुलिस पदाधिकारी के पास है, वह बक्सर स्थानांतरित हो गया है। अतः 2 मार्च को रखा जाये, आज भी उनके द्वारा यह कहा जा रहा है कि पुलिस पदाधिकारी अनुपस्थित हैं, ऐसी स्थिति में भगवान का एक एक दिन बिना भोग, आरती, पूजा के व्यतीत हो रहा है।
5 मार्च को होगी अगली सुनवाई
उन्होंने बताया की 13 जून 2023 को तालाब की खुदाई के दौरान अष्टधातु की मूर्ति बरामद हुई थी जिसे पुलिस ने अपने थाना के मालखाना में सुरक्षित रख दिया था। उन्होंने बताया की 1925 में स्थापित श्री राधाकृष्ण गोपीनाथ मंदिर से अष्टधातु की मूर्ति की चोरी हुई थी। इसको लेकर हथुआ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
हालांकि 20 फरवरी 2024 को हथुआ के थानाध्यक्ष ने जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें उन्होंने राधाकृष्ण की मूर्ति नहीं बल्कि रामजानकी की मूर्ति होने का उल्लेख किया है। इसके बाद तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय ने सत्य सूत्रहीन बताते हुए 23 नवंबर 2018 को केस क्लोज कर दिया था।
इस मामले में सीजेएम ने पुलिस को आदेश पर 1 मार्च को मूर्ति कोर्ट लाया गया और दो और तीन मार्च को साक्ष्य के साथ मैं उपस्थित हुआ। लेकिन पुलिस मूर्ति को प्रस्तुत नहीं की। अब अगली सुनाई पांच मार्च को होगी। मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है की मेरा मूर्ति मुझे प्राप्त होगा