पटना (व्हीएसआरएस न्यज) बिहार चुनाव के लिए लगभग सभी पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवार तय कर लिए है। कई उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी हो चुकी है। इसमें राजेडी और कांग्रेस सबसे आगे है। भाजपा की बात करें तो पहले चरण चुनाव की लिस्ट में सवर्ण,पंडित,भूमिहार उम्मीदवारों का दबदबा दिख रहा है। जिस राज्य में दलितों और पिछड़ों के नाम पर राजनीति होती हो,वहां ये तथ्य थोड़ा अजीब लगेगा। लेकिन सियासत का यही सच है। बिहार चुनाव के पहले चरण में करीब-करीब सभी पार्टियों ने फॉरवर्ड कार्ड खेला है। फॉरवर्ड कार्ड यानि सवर्ण उम्मीदवारों को रेस में उतारना। पहले चरण की लिस्ट तो सीधे-सीधे यही कहानी बयां कर रही है। बड़ी बात तो ये है कि इसमें सीपीआई का नाम भी शामिल है।
बीजेपी ने मंगलवार की रात पहले चरण के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी। पहले आपको कुछ नाम गिना दें… बिक्रम से अतुल कुमार,लखीसराय से विजय कुमार सिन्हा, बाढ़ से ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, बड़हरा से राघवेंद्र प्रताप सिंह और आरा से अमरेंद्र प्रताप सिंह। इन नामों से आपको काफी कुछ समझ में आ गया होगा। कुल मिलाकर बीजेपी ने पहले चरण के लिए 27 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जिसमें से 16 सवर्ण ( राजपूत-7, भूमिहार-6 और ब्राह्रण-3) हैं।
अगर सत्ताधारी और भाजपा की सहयोगी जदयू और हम की बात करें तो यहां दोनों ही पार्टियों ने पहले चरण के 40 उम्मीदवारों में से 10 सवर्णों पर दांव लगाया है। इनमें राजपूत बिरादरी के 5 और भूमिहार बिरादरी के 5 कैंडिडेट शामिल हैं।
फॉरवर्ड कार्ड में सीपीआई भी पीछे नहीं
सीपीआई यानि भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी ने भी पहले चरण में सवर्णों उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। ये अलग बात है कि इस पार्टी के ज्यादातर कैडर दलित और पिछड़े समुदाय से आते हैं। बावजूद इसके पार्टी ने इस चुनाव में दो सवर्ण यानि भूमिहार बिहादरी के उम्मीदवारों पर दांव खेला है।
एलजीपी अब एनडीए में है या नहीं इसका जवाब नहीं दे पाए नीतीश-सुशील
दरअसल मंगलवार को अचानक खबर आई कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। शाम 5:00 बजे होटल चाणक्य में शेड्यूल तय हुआ। दरअसल इसी होटल में भाजपा का मीडिया सेल भी काम कर रहा है। लेकिन जब प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हुई तो यह तय कर पाना बहुत मुश्किल था कि एनडीए की सीट शेयरिंग पर बात हो रही है या चिराग पासवान पर। हालांकि नीतीश कुमार के दबाव में इस साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के 2 घंटे पहले बीजेपी अपनी कवायद पूरी कर चुकी थी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने आनन-फानन में 31 सेकंड का प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और जताने की कोशिश की कि नीतीश कुमार ही एनडीए के नेता हैं और जो उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेगा वह एनडीए में नहीं रहेगा ।
सिलसिलेवार जानिए घटनाक्रम के बारे में
अब चलते हैं शाम 5:00 बजे के करीब-मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और दोनों दलों के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस पर।इसकी शुरुआत नीतीश कुमार ने की और वही पुरानी बात को औपचारिक रूप दिया कि जेडीयू के खाते में 122 और बीजेपी को 121 सीटें मिली हैं।इस औपचारिक ऐलान के तुरंत बाद ही पत्रकारों ने उन पर सवाल दागना शुरू कर दिया कि यह कैसा गठबंधन है जिसका एक घटक आप के कामकाज पर सवाल उठा रहा है और लोजपा-भाजपा की सरकार बनने पर सात निश्चय के घोटाले की जांच कराने का वादा कर रहा है। नीतीश ने भरपूर कोशिश की।उन्होंने यही रट लगाए रखी कि कौन क्या बोलता है इस पर उनका कोई लेना देना नहीं है,हां यह जरूर है कि रामविलास पासवान से एक अलग रिश्ता रहा है।
उन्होंने बखूबी गेंद भाजपा के पाले में फेंक दी। सब सुशील मोदी की तरफ देखने लगे। सुशील मोदी ने भी संजय जायसवाल की बात दोहराई।उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम चुनाव आयोग भी जाएंगे और बिहार में एनडीए में शामिल जो पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ रही हैं उसके अलावा कोई और मोदी के नाम का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। दरअसल वह सवाल को भटका रहे थे । सवाल सीधा था कि क्या चिराग पासवान के फैसले के बाद भी लोजपा एनडीए का हिस्सा है,क्या रामविलास पासवान केंद्र में मंत्री बने रहेंगे या नहीं,क्या लोजपा को एनडीए से निकाला जाएगा या नहीं। इन स्पष्ट सवालों का कोई सीधा जवाब सुशील मोदी ने भी नहीं दिया।