पुणे । व्हीएसआरएस न्यूज : स्वाद और मिजाज के लिए मशहूर इंदौर आजकल नशे की गिरफ्त में है। यहां ड्रग्स की ऐसी दुनिया का खुलासा हुआ, जिससे हर कोई हैरान है। …और इसकी वजह है ड्रग वाली आंटी, जो इस वक्त सुर्खियों में है। पुलिस पड़ताल में सामने आया है कि ड्रग वाली आंटी का असली नाम प्रीति है और वह पुणे से ताल्लुक रखती थी और अपने बेटे को पायलट बनाना चाहती थी। इस रिपोर्ट में जानते हैं कि पुणे की प्रीति आखिर कैसे बन गई इंदौर की ड्रग वाली आंटी? कैसे उसके सुनहरे सपनों के सफर ने नशे के कारोबार का रास्ता पकड़ लिया? इंदौर पुलिस को शहर में ड्रग्स की धड़ाधड़ सप्लाई होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद सबूतों की तलाश शुरू हुई, लेकिन हाथ कुछ खास नहीं लगा। ऐसे में एसआई प्रियंका शर्मा को ग्राहक बनाकर ड्रग पैडलर के पास भेजा गया, लेकिन शुरुआत में इससे कोई खास मदद नहीं मिली। एसआई प्रियंका ने हिम्मत नहीं हारी और वह लगातार 10 दिन तक ड्रग पैडलर से मिलती रही। इसके बाद पैडलर को प्रियंका ड्रग्स एडिक्ट लगी और उसने एसआई को ड्रग्स के नेटवर्क में शामिल कर लिया। दरअसल, पैडलर बिना जान पहचान किसी को भी ड्रग्स नहीं देते हैं। इंदौर में ड्रग्स के नेटवर्क का खुलासा हुआ तो हर कोई हैरान रह गया।
दरअसल, शहर का कोई भी पब नहीं बचा था, जिसमें नशे के इन सौदागरों की पैठ नहीं थी। इसके अलावा रेस्तरां, पूल क्लब भी उनके निशाने पर थे। जिम के रास्तों से भी युवाओं की नसों में नशे का जहर घोला जा रहा था। शहर के कई रईस युवक और युवतियां ड्रग्स के इस जाल में फंसाए जा चुके थे। उन्हें नशे की लत इस कदर लग गई कि मौत का यह सामान खरीदने के लिए वे खुद ही एबी रोड पहुंच जाते थे। पुलिस जांच में सामने आया कि जिम के रास्ते से भी ड्रग्स की सप्लाई हो रही थी। इस दौरान पुलिस के हत्थे जिम ट्रेनर धीरज सोनतिया चढ़ा, जो वर्कआउट के लिए आने वालों को नशे की लत लगाता था। वह वजन कम करने की दवा बताकर लोगों को ड्रग्स देता था। पुलिस ने ड्रग्स के नेटवर्क के खुलासे के दौरान जिम ट्रेनर धीरज के अलावा कई लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें दो युवतियों समेत छह पैडलर शामिल थे। इनकी पहचान पैडलर सोहन उर्फ जोजो, कपिल पाटनी, विक्की परिआणी, याशमीन, आफरीन और सद्दाम के रूप में हुई। आरोपियों से पूछताछ के दौरान ड्रग वाली आंटी का नाम सामने आया, जो स्कीम-78 में रहती थी। पुलिस ने उसे पकड़ा तो इंदौर में चल रहे नशे के कारोबार का बड़ा सिरा हाथ लग गया। उसने शहर के कई पब, रेस्तरां, कैफे, पूल क्लब और जिम में ड्रग्स सप्लाई करने की बात कबूली।
साथ ही, गोवा और मुंबई के नाइजीरियन तस्करों से तार जुड़े होने की जानकारी दी। ड्रग वाली आंटी ने बताया कि वह हर महीने 10 लाख रुपये का माल बेचती थी। पुलिस के हत्थे चढ़ी ड्रग वाली आंटी ने अपनी कहानी सुनाई तो हर कोई सिहर गया। उसने बताया कि नशे के इस कारोबार से कैसे वह सिर्फ पांच साल में करोड़पति बन गई। साथ ही, उसने पुणे की प्रीति से इंदौर की ड्रग वाली आंटी बनने की पूरी दास्तां बयां की। दरअसल, आरोपी महिला ने दावा किया कि उसका असली नाम प्रीति है और वह पुणे की रहने वाली है। हालांकि, पुलिस इसे सच नहीं मान रही है, क्योंकि उसके पास कई आईडी कार्ड मिले, जिन पर प्रीति, सपना, प्रेरणा और काजल आदि नाम लिखे हैं। पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी महिला ने बताया कि उसका असली नाम प्रीति है और वह पुणे की रहने वाली है। उसने अंग्रेजी में एमए किया। इसके अलावा हिंदी और मराठी पर भी उसकी काफी अच्छी पकड़ है। उसकी शादी धार जिले के कुक्षी में दीपक नाम के शख्स से हुई थी, लेकिन प्रीति के सपने बड़े थे। ऐसे में किसी न किसी बात को लेकर उनका विवाद होता रहता था। साल 1991 में उसने अपने पति को छोड़ दिया और अपने बेटे के साथ इंदौर आ गई। ड्रग वाली आंटी ने बताया कि वह अपने बेटे को पायलट बनाना चाहती थी, लेकिन इंदौर में उसकी मुलाकात ऋचा नाम की युवती से हुई। ऋचा ने रुपयों का लालच दिया तो वह ड्रग्स के कारोबार में कूद पड़ी। शुरुआत में वह इंदौर के एक मॉल में रियल स्टेट कंपनी में बतौर पार्टनर का काम करने लगी। दिन में वह रियल स्टेट का काम संभालती और रात में पार्टी व पब में ड्रग्स सप्लाई करने लगी। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के कारण वह जल्द ही रईसों से घुलमिल जाती थी। ड्रग्स की सप्लाई करते-करते उसका नाम मड्रग वाली आंटीफ पड़ गया।