शिवहर| व्हीएसआरएस न्यूज: रीगा चीनी मिल के मुख्य प्रबंध निदेशक ओमप्रकाश धानुका की परेशानी थमती नहीं दिख रही। किसानों को गन्ने की कीमत के बजाय केसीसी ऋण दिलाने के फर्जीवाड़े में प्राथमिकी के बाद सरकार ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। उनके साथ तत्कालीन महाप्रबंधक (वाणिज्य) राम कुमार पांडेय को भी आरोपित किया गया है। गिरफ्तारी वारंट हासिल करने के बाद राज्य पुलिस कोलकाता जाएगी।
दरअसल, रीगा चीनी मिल पर 40 हजार गन्ना किसानों का वर्ष 2018 व 2019 के पेराई-सत्र का लगभग 70 करोड़ रुपये बकाया था। इसके भुगतान के लिए वे प्रबंधन पर लगातार दबाव बना रहे थे। इस पर मिल प्रबंधन ने वर्ष 2018 में खुद गारंटर बनकर 12 हजार किसानों के नाम 60 करोड़ का केसीसी ऋण दिला दिया था। किसानों ने इसे गन्ना मद की राशि समझ ली थी। लेकिन, एक साल बाद जब बैंकों ने सूद समेत रुपये वापस करने के लिए उन्हें नोटिस भेजा तो फर्जीवाड़े का पता चला।
तीन सदस्यीय टीम की जांच के बाद हुई थी प्राथमिकी
गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष नागेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि आवाज उठाने के बाद गन्ना विकास विभाग की तीन सदस्यीय टीम जांच के लिए रीगा पहुंची थी। फर्जीवाड़े की पुष्टि के बाद राज्य ईख आयुक्त के निर्देश पर मुजफ्फरपुर के ईख पदाधिकारी जयप्रकाश नारायण सिंह ने 20 अगस्त, 2020 को सीतामढ़ी के रीगा थाने में दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। हालांकि, 26 अगस्त, 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ओमप्रकाश धानुका ने किसानों को आश्वस्त किया था कि मिल प्रबंधन गन्ना व केसीसी मद की राशि का सूद समेत भुगतान कर देगा। 28 अगस्त को इसके पक्ष में एक विज्ञापन भी निकाला गया था। लेकिन, प्रबंधन ने भुगतान के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
2019 में डीएम के हस्तक्षेप पर हुई थी भुगतान की पहल
आपको बताते चले कि वर्ष 2019 में तत्कालीन डीएम डॉ. रणजीत कुमार सिंह के हस्तक्षेप के बाद किसानों का भुगतान शुरू हुआ था। इसमें मिल से चीनी जब्त कर उसकी बिक्री से प्राप्त राशि का किसानों को भुगतान करने का आदेश दिया गया था। चीनी विक्रय से प्राप्त 85 फीसद राशि किसानों और 15 फीसद प्रबंधन को मिल के मेंटेनेंस के लिए दी जानी थी। शुरुआती दौर में तकरीबन 25 करोड़ का भुगतान किया गया, लेकिन डीएम के तबादले के साथ यह भी ठप हो गया। इधर, 12 हजार किसानों के नाम केसीसी जारी करा मिल प्रबंधन ने किसानों को 60 करोड़ का कर्जदार भी बना दिया। ऐसे में गन्ना मद और केसीसी ब्याज समेत यह राशि बढ़कर करीब 130 करोड़ हो गई है।