भागलपुर| व्हीएसआरएस न्यूज: कल्याण विभाग ने सौ करोड़ के एक और घोटाले का कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। जिला कल्याण पदाधिकारी श्याम प्रसाद यादव ने कल बुधवार को कोतवाली थाने में आवेदन देकर अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था। डीएम प्रणव कुमार ने जिला कल्याण पदाधिकारी को 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के घोटाले की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए नामित किया था। डीएम के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये की प्राथमिकी दर्ज होने के साथ ही कल्याण विभाग में घोटाले की राशि बढ़कर 221.60 करोड़ हो गया है।
गत 2017 में अवैध निकासी की मिली थी जानकारी
सात अगस्त 2017 को कल्याण विभाग में 121 करोड़ 71 लाख 61 हजार रुपये की अवैध निकासी की जानकारी हुई थी। इसको लेकर कोतवाली थाने में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसकी जांच अभी सीबीआइ कर रही है। घोटाला उजागर होने के बाद महालेखाकार की ओर से 2007 से 2017 तक का विशेष अंकेक्षण कराया गया। ऑडिट के दौरान 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के और भी घोटाले का राज खुला। इस घोटाले को लेकर सरकार के संयुक्त सचिव ने डीएम को प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था। डीएम ने 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के घोटाले के दोषियों की पहचान कर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश जिला कल्याण पदाधिकारी को दिया था।
आधा दर्जन कर्मचारी के विरुद्ध चल रही है जांच।
कल्याण विभाग ने 121 करोड़ 71 लाख 61 हजार रुपये की अवैध निकासी को लेकर दो प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। तीन साल और तीन महीने बाद 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये की तीसरी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। 2007 से 2017 के बीच चार जिला कल्याण पदाधिकारी रामलला सिंह, राम ईश्वर शर्मा, ललन कुमार सिंह और अरुण कुमार जिला कल्याण पदाधिकारी रहे थे। इनके ही कार्यकाल में सृजन घोटाला होने की बात कही जा रही है। वही आधा दर्जन कर्मचारी के विरुद्ध भी जांच चल रही है।
इस मामले कि भी हो सकती है सीबीआइ जांच
99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के घोटाले की प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच सीबीआइ कर सकती है। पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी सुनील कुमार शर्मा ने सीबीआइ को पत्र भेजकर 121 करोड़ के सृजन घोटाले को लेकर तिलकामांझी कांड संख्या 555/2017 में 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार रुपये समायोजित कर जांच करने का आग्रह किया था। उक्त पत्र के आलोक में सीबीआइ ने जवाब दिया था कि 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार रुपये के अनुसंधान के लिए सरकार का आदेश जरूरी है। सरकार की नई अधिसूचना मिलने के बाद जांच की कार्रवाई की जा सकी है।
वही सीबीआइ का पत्र मिलने के बाद तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी ने विभाग के सचिव को पत्र भेजकर अधिसूचना जारी करने का आग्रह किया था। इसी के आलोक में सरकार के संयुक्त सचिव ने प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है।