कटिहार| व्हीएसआरएस न्यूज: कटिहार जिले के बारसोई प्रखंड के बेलवा गांव स्थित ऐतिहासिक नील सरस्वती मंदिर अतीत में महाकवि कालीदास की साधना स्थल रह चुका है। बिहार व पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित सीमांचल के इस इकलौते सरस्वती मंदिर के प्रति बिहार ही नहीं पश्चिम बंगाल के लोगों की असीम आस्था है। वसंत पंचमी के अवसर पर सदियों से यहां भव्य मेला लगता आ रहा है। आज के दिनों में यह खासकर विद्या अर्जित करने वाले छात्र-छात्राओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
बांग्ला साहित्य में मंदिर का उल्लेख
इस बारे में बांग्ला साहित्यकार बंकू बिहारी मंडल की कृति ओचैना शक्तिपीठ बेलवा व कालीदास उपाखन नामक पुस्तक में इस मंदिर का उल्लेख है। मंदिर के पुजारी राजीव चक्रवती के अनुसार बांग्ला साहित्य में इस बात का भी उललेख है कि महाकवि कालीदास ने यहां आकर इस मंदिर में साधना की थी। इससे यह पता चलता है कि महाकवि कालीदास के समय से ही यह मंदिर विद्यमान था। इस मंदिर में मुख्य रूप से सरस्वती माता, मां काली व दुर्गा माता की मूर्तियां हैं। मंदिर प्रबंधन कमेटी के आग्रह पर बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद भी इस मंदिर का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने उन्हें इसके विकास का आश्वासन दिया है।
प्राचीन मूर्ति गूम पर आस्था कायम
बारसोई अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर दूर बेलवा गांव में यह मंदिर है। उसमें विराजमान प्राचीन व बेशकीमती तीनों मूर्तियां 1983 में चोरों ने चुरा लिए थे। इससे मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से उसी शक्ल की दूसरी मूर्तियां वहां स्थापित की गई हैं। लेकिन इसके बावजूद लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई। आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां की पूजा करने मंदिर आते हैं। उनमें मुख्य रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड व नेपाल के श्रद्धालु शामिल हैं। मुर्शिदाबाद के एक व्यवसायी वसंत पंचमी के अवसर पर यहां होने वाले विशेष पूजा समारोह में अहम भागीदारी निभाते आ रहे हैं। उसमें मंदिर प्रबंधन कमेटी व स्थानीय लोगों की भी सक्रिय भागीदारी रहती है। की इसमें अहम भागीदारी रहती है।
मिलती रही है दुर्लभ कलाकृति
आपको बताते चले कि इस क्षेत्र में समय समय पर पुरातात्विक महत्व की कलाकृतियां मिलती रही हैं। चार वर्ष पूर्व यहां मिली कुछ मूर्तियों को पटना स्थित बिहार पुरातत्व विभाग के सुपुर्द किया गया था। हालांकि उसके बाद से पुरातात्विक अवशेषों की खुदाई की कोई पहल नहीं की जा सकी है। मंदिर प्रबंधन कमेटी के सदस्य इसके विकास को लेकर लगातार तत्पर हैं।