भभुआ। व्हीएसआरएस न्यूज:सरकार के स्तर से आयुष चिकित्सकों को सर्जरी का कार्य सौंपने के निर्णय का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा विरोध करने का शुक्रवार को सदर अस्पताल पर असर दिखाई पड़ा। हांलाकि संगठन ने आपात सेवा व कोविड जांच को अपने कार्य बहिष्कार से बाहर रखा है, फिर भी अन्य दिनों की भांति अस्पताल की अन्य सेवाएं भी प्रभावित दिखी। सदर अस्पताल के पुरूष ओपीडी में आयुष चिकित्सक चंद्रशेखर पांडेय दिन में लगभग एक बजे तक भले ही 90 मरीजों का इलाज कर चुके थे, लेकिन पदस्थापित चिकित्सक डाॅ. किरन सिंह के महिला ओपीडी में न आने से सैकड़ों महिला मरीजों को बैंरग घर वापस होना पड़ा।
दिन में डेढ बजे तक 160 मरीज इलाज के लिए अपना पंजीयन करा चुके थे। इसमें कोरोना की जांच को आए लोग भी शामिल हैं। जांच केंद्र खुला रहने से दस मरीज ब्लड व यूरीन की जांच कराए थे। ओपीडी भवन के प्रथम तल पर स्थित डेंटल व नेत्र चिकित्सकों का कक्ष तो खुला था लेकिन आइएमए के समर्थन में चिकित्सक व नेत्र सहायक गायब रहे। लेकिन मलेरिया कर्मी राकेश पासवान कक्ष को सैनिटाइजड करते देखा गया। सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष के पास डॉ किरन सिंह डिलेवरी कराने को उपलब्ध दिखी। टीबी रोग विभाग में पुराने टीबी मरीजों को दवा तो दिया जा रहा था। लेकिन जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल सिंह ने न होने नए टीबी मरीजों की जांच तो हुई लेकिन इलाज नहीं हो सका। वैसे वे कोविड के भी नोडल पदाधिकारी रहने से कोविड जांच केंद्र के पास देखे गए।
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार ने आइएमए के विरोध को उचित ठहराया। साथ ही कहा कि अस्पताल की ओपीडी आयुष के चिकित्सक ने संभाल रखा है। लेकिन जब उनसे महिला ओपीडी के ठप होने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डॉ किरन सिंह की ड्यूटी है लेकिन वे प्रसव कक्ष में आपात सेवा में लगी है। उधर सदर अस्पताल पहुंचे आइएमए के जिलाध्यक्ष डॉ संतोष सिंह व सचिव डॉ अरविंद कुमार व अन्य चिकित्सकों ने सरकार के मिक्सोपैथी का विरोध करते हुए इसे चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में खतरनाक माना। <span;>साथ ही उन्होने कहा कि सरकार को अपने मिक्सोपैथी के निर्णय को बदल कर चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहाकि देश आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का जनक है। इससे ही यूनानी चिकित्सा पद्धति की उत्पत्ति हुई है। लेकिन कोरोना वैक्सीन के निर्माण से लेकर चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में जितने भी कीर्तिमान स्थापित किए गए उसकी मूल में मार्डन अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति ही रही है। जिलाध्यक्ष ने उपरोक्त विचारों का प्रधान मंत्री को लिखे पत्र में भी उल्लेख करते हुए मिक्सोपैथी के निर्णय को जनहित में बदलने की मांग किया है।
आपको बताते चलें कि सदर अस्पताल में विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम में आइएमए के जिलाध्यक्ष डॉ संतोष सिंह, वरीय डॉ अनिल कुमार सिंह, डॉ विनोद कुमार सिंह, डॉ किरन सिंह, डॉ त्रिभुवन नारायन सिंह व डॉ अरविद द्विवेदी आदि शामिल थे।