चंडीगढ़। व्हीएसआरएस न्यूज: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पंजाब प्रांत के लिए नए प्रमुख के तौर पर इकबाल सिंह अहलूवालिया की नियुक्ति की है| उन्होंने बृजभूषण बेदी का स्थान लिया है जो पिछले 26 वर्ष से आरएसएस के पंजाब प्रमुख बने हुए थे| बेदी 90 साल के हैं और वे अपनी उम्र ज्यादा होने की वजह से इस पद से मुक्त होना चाहते थे| फ़िलहाल राजनीतिक गलियारों में इस बदलाव को 2022 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के साथ भी जोड़कर देखा जा रहा है| पंजाब के नए आरएसएस प्रांत प्रमुख इकबाल सिंह अहलूवालिया भी वरिष्ठ नागरिक हैं| उनकी उम्र 70 साल है और वह फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व कर्मचारी हैं| वह मूलतः पंजाब के हिंदू बहुल जिला संगरूर से ताल्लुक रखते हैं|
अहलूवालिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हाल ही आयोजित राज्य स्तरीय बैठक में नए प्रांत प्रमुख चुने गए| उनके नाम का प्रस्ताव बृजमोहन बेदी ने ही रखा| बेदी देश को आजादी मिलने से पहले से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे है|
जबकि अहलूवालिया साल 1963 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े हैं. वे खुद को राजनीति से दूर रखना चाहते हैं लेकिन उनका मकसद पंजाब में आरएसएस का विस्तार करना होगा| आपको बताते चले कुछ समय पहले ही अहलूवालिया को पंजाब प्रांत का संयुक्त संघ संचालक बनाया गया था| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सिख भाईचारे को अपने साथ जोड़ने के लिए राष्ट्रीय सिख संगत की स्थापना की थी| लेकिन आरएसएस की इस शाखा के नेताओं पर आतंकवादी कई बार हमला कर चुके हैं|इसकी वजह से इस संगठन को लो-प्रोफाइल में रखा गया| खालिस्तानी आतंकवादी अब तक पंजाब के दर्जनभर हिंदू और आरएसएस नेताओं को अपना निशाना बना चुके हैं| राष्ट्रीय सिख संगत के तत्कालीन अध्यक्ष रुलदा सिंह की 29 जुलाई 2009 को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी|
खालिस्तान समर्थक ग्रुप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और राष्ट्रीय सिख संगत को सिख धर्म विरोधी मानते हैं| कुछ कट्टरवादी सिख संगठनों का भी मानना है कि राष्ट्रीय सिख संगत जैसी संस्थाएं सिख धर्म में हिंदुत्व घोलने की कोशिश कर रही हैं| यही कारण है कि राष्ट्रीय सिख संगत पंजाब के सिख समुदाय को बड़ी संख्या में अपने साथ नहीं जोड़ पाया| वही दिल्ली और राजस्थान सहित कई राज्यों में राष्ट्रीय सिख संगत अपना प्रभाव बनाने में कुछ हद तक कामयाब रहा है.
आपको बताते चले आरएसएस के नए पंजाब प्रांत प्रमुख अहलूवालिया बेशक राजनीति से दूर रहने की बात करें लेकिन बीजेपी से संघ का जुड़ाव एक सच्चाई है| पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं करीब ढाई दशक बाद पंजाब में पहला मौका होगा बीजेपी अकेले दम पर ये चुनाव लड़ेगी और पंजाब की सभी 117 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी| इसी तैयारियों के तहत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने हाल में पंजाब के 11 जिलों में पार्टी दफ्तरों का डिजिटल उद्घाटन किया| अब तक अकाली दल के साथ गठबंधन में रहकर बीजेपी पंजाब में सारे चुनाव लड़ती रही| आपसी सहमति के तहत बीजेपी को 117 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 23 सीटों पर चुनाव लड़ने का ही मौका मिलता था| ये 23 विधानसभा सीटें हिंदू बहुल शहरी क्षेत्रों से ही होती थीं| वहीं बीजेपी का अधिक आधार रहा है| हालांकि पिछले चुनावों में पंजाब के शहरी चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने बढ़त के साथ बाजी मार ली थी और बीजेपी के 21 उम्मीदवार चुनाव हार गए थे| अबकी बार बीजेपी आलाकमान ने पंजाब के नेतृत्व को एक तरफ जहां शहरी मतदाताओं पर पकड़ मजबूत करने की हिदायत दी है वहीं अब पार्टी की नजर पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में भी है जिसे शिरोमणि अकाली दल का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है|