पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है। लेकिन कुछ लोग इतनी जल्दबाजी में है कि अंडा नहीं मुर्गी को ही काटकर खाना चाहते है। फर्जी ठेकेदार,फर्जी कागजात के दम पर और दाम पर कुछ राजनीतिक लोग करोडों का ठेका हथिया रहे है और अपने बगलबच्चों को चलाने के लिए दे रहे है। इस काम में पालिका के कुछ संबंधित अधिकारियों की भी मिलिभगत होती है। अधिकारी फर्जी प्रमाणपत्र,अनुभवपत्र देकर या दिलाकर इस अलीबाबा चालीस चोर की टीम का एक हिस्सा है। पालिका में इन दिनों भोसरी पॅटर्न का डंका बज रहा है। ईमानदार ठेकेदारों को दमदाटी देकर शांत किया जाता है। नए पालिका आयुक्त राजेश पाटिल के सामने अलीबाबा चालीस चोरों पर लगाम लगाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरुरत है।
हाल ही में एक फर्जी ठेकेदार की फर्जी कंपनी के राज का पर्दाफाश हुआ है। यह ठेकेदार 35 करोड रुपये का ठेका लिया। फर्जी प्रमाणपत्र देने की मदद आरोग्य वैद्यकीय विभाग का एक वरिष्ठ अधिकारी ने किया,यह प्रमाणपत्र फर्जी साबित हो चुका है। पालिका में फर्जी कागजात और फर्जी ठेकेदार का यह कोई पहला मामला नहीं। इसके पहले 18 ठेकेदारों का नकली बैंक गारंटी और सिक्यूरिटी जमा रकम का प्रकरण उजागर हो चुका है। इसमें से अभी केवल 5 ठेकेदारों पर अपराध दर्ज हुआ। बाकी ठेकेदारों को इनके आकाओं ने बचाने का काम किया। ये ठेकेदार बैंक,पालिका को फंसाने का काम किया था। जिन ठेकेदारों को बचाने का काम हुआ वे आज भी पुराने ढर्रे पर ठेका ले रहे है। इनकी बिल अदायगी भी अन्य ठेकेदारों के मुकाबले समय पर हो रहा है। पालिका के हर विभाग के अधिकारी इन दिनों भोसरी पॅटर्न के दबाव में काम करने को मजबुर है। दम और दाम दोनों हथियारों का खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है। गलत काम करने को अधिकारी बेबस है।
पालिका से करोडों रुपये का ठेका पाने के लिए ना केवल फर्जी कागजातों का सहारा लिया जाता है बल्कि फर्जी ठेकेदार भी खडे किए जा रहे है। फिर फर्जी ठेकेदार को साइडलाइन करके ठेका का काम बगलबच्चों को दिया जाता है। कम दर में ठेका भरा जाता है। अगर नुकसान हुआ तो काम बंद कर देते है। फिर अधिकारियों को पकडकर समयावधि बढाने और मूल ठेके की रकम में स्थायी समिति से बढोत्तरी खर्च के नाम से अतिरिक्त पैसा मंजूर होता है। यह खेल पिछले चार वर्षों से चल रहा है। ऐसा नहीं कि केवल भाजपा की सत्ता में हो रहा है,बल्कि राकांपा की सत्ता के समय पर भी खेला होता था। मगर दाल में नमक के बराबर। वर्तमान में तो सत्ताधारी पूरी दाल को चट कर रही है। इसी को तो कहते है भोसरी पॅटर्न। फर्जी कागजात,फर्जी ठेकेदार के दम-दाम पर ठेका पाना भोसरी पॅटर्न कहलाता है। अब तक जितने ठेकेदार किसी न किसी मामले में गलत काम करते पकडे गए अथवा चर्चा में आए उनका कनेक्शन भोसरी पॅटर्न से जुडा मिला।
पिंपरी चिंचवड मनपा के आयुक्त राजेश पाटिल क्या इस मजबुत चक्रव्यूह को तोडने का साहस दिखाएंगे? क्योंकि यह चक्रव्यूह राजनीतिक है। पालिका और शहर के हित में काम करने वाले ठेकेदार जो आज दम-दाम के चक्कर में साइडलाइन किए गए है उनको फिर से शहर के विकास के प्रभाव में लाने का काम करेंगे या भोसरी पॅटर्न के अलीबाबा और चालीस चोर का खेला पालिका में चलता रहेगा?