पुणे(व्हीएसआरएस न्यूज) पुणे शहर में कोरोना का कोहराम मचा है। शहर की जनता में हाहाकार है। हरदिन 10,000 मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। प्रतिदिन 100 लोगों की बेमौत हो रही है। जिनके कंधों पर स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है वह अधिकारी असभ्यता,क्षेत्रवाद,जातिवाद का जहर फैला रहा है।चिकित्सा विभाग से संबंधित ठेकेदारों,एजेंटों और कुछ विशिष्ट मान्यवरों की सेवा में लगे रहते है। संकट की घडी में कोरोना मरीजों के परिवारजन अगर पालिका के किसी हॉस्पिटल में बेड उपलब्धता की जानकारी से संबंधित फोन करते हैं तो ये महाशय फोन नहीं उठाते,अगर गलती से उठा लिया तो पीए,असिस्टेंट का फोन आएगा ऐसा बहाना करते है। मरीजों की मदद नहीं करते और सटीक जानकारी नहीं देते। इलाज में विलंब होने पर कई लोगों की जान चली जाती है। पालिका के किसी भी हॉस्पिटल में मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं हो रहा। यह सब प्रायवेट हॉस्पिटल के साथ सोची समझी साजिश का एक हिस्सा है। मजबूरी में लोग प्रायवेट हॉस्पिटल का रुख करते है जहां भारी भरकम बिल देने पर मजबुर हो रहे है।
पुणे के वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश पांडे ने इस बारे में एक पत्र पुणे के पालकमंत्री अजित पवार को देकर ध्यानाकर्षण कराया है। साथ ही मांग की है कि ऐसे अकार्यक्षम अधिकारी को कोरोना महामारी की महत्वपूर्ण जवाबदारी से हटाकर किसी सक्षम,कार्यक्षम अधिकारी के हाथ में बागडोर सौंपी जाए ताकि मरीजों की जान बचायी जा सके। पांडे ने अपना अनुभव बताते हुए कहा है कि वे खुद एक रिपोर्टर की मां जो कोरोना संक्रमित थी उन्हें पालिका हॉस्पिटल में बेड पाने के लिए दिन भर फोन किया, मगर भारती ने फोन नहीं उठाया। किसी भी जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी को पब्लिक का फोन उठाना बंधनकारक है। अगर मरीजों को हॉस्पिटलों के चक्कर काटने के बाद बेड की उपलब्धता नहीं हो पाती तो मजबुरी में स्वास्थ्य मुख्य अधिकारी आशीष भारती को फोन करते है। लेकिन ये महाशय कुछ विशिष्ट मान्यवरों को छोडकर किसी का फोन नहीं रिसिव करते।
वासिम से रिटायर पूर्व कलेक्टर की पत्नी की अन्य बीमारी का सर्जरी होना था। जांच में कोरोना पॉजिटिव निकली। पुणे मनपा के सभी कोरोना हॉस्पिटल में फोन लगाकर बेड उपलब्धता की जानकारी मांगी लेकिन किसी ने प्रतिसाद नहीं दिया। फोन तक नहीं उठाए गए। स्वास्थ्य मुख्य अधिकारी अशीष भारती से भी संपर्क किया मगर हमेशा की तरह फोन उठाने की जरुरत नहीं समझा। पूर्व कलेक्टर की पत्नी को आखिर में एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराना पडा। एक तरफ पुणे मनपा,विभागीय आयुक्त,राज्य प्रशासन दावा करते है कि कोरोना मरीजों के लिए बेड की कमतरता नहीं होने देंगे। दूसरी ओर कुछ अकार्यक्षम अधिकारियों की वजह से मरीज बेमौत मर रहे है। क्या यह पुणे मनपा प्रशासन और राज्य शासन की नाकामी,असफलता का ज्वलंत उदाहरण नहीं?
पुणे पालिका मेडिकल अथवा स्वास्थ्य विभाग प्रतिदिन अपने हॉस्पिटलों में रिक्त बेड की उपलब्धता की बुलेटिन प्रसारित करनी चाहिए। ताकि मीडिया के माध्यम से लोगों को मालूम पडे कि किस हॉस्पिटल में कितना बेड रिक्त है। इससे कोरोना मरीजों को दर दर भटकने की आवश्यकता नहीं पडेगी और ना ही ऐसे अकार्यक्षम अधिकारी को फोन करने की आवश्यकता पडेगी।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पांडे द्धारा उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लिया है। अकार्यक्षम अधिकारी भारती अब अजित पवार के क्रोध के रडार पर आ चुके है। किसी भी क्षण गाज गिरना तय माना जा रहा है। पांडे ने अपने पत्र की प्रतियां राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे,पुणे मनपा आयुक्त विक्रम कुमार,अतिरिक्त आयुक्त रुबेल अग्रवाल को भी भेजी है।