पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड शहर पुलिस को उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि उनके फोन के सिवाय किसी का फोन आता है तो मुझे बताओ उसे ठीक कर दूंगा। पुलिस बिना दबाव में काम करें। राष्ट्रवादी समेत किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता,स्थानीय नेता हो अगर दबाव लाता है या किसी अपराध में लिप्त पाया जाता है तो उसके विरुद्ध पुलिस कार्रवाई करे। उपमुख्यमंत्री के नाते पुलिस विभाग को खुली छूट दे रहा हूं। मैं पुलिस के साथ हूं। रामकृष्ण मोरे सभागृह में पुलिस विभाग की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में अजित पवार ऐसा बोलकर सबको हिला दिया।
आखिरकार अजित पवार ने फोन की बात क्यों की? राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाने पर क्यों लिया? अजित पवार यूं ही कुछ भी नहीं बोलते उसके पीछे कुछ इनसाइड स्टोरी होती है। तेजतर्रार,कार्यक्षम,स्वच्छ छवि वाले पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने पिछले 4 महिनों से शहर को जीरो टॉलरेंस की दिशा में कार्यरत है। शहर से अवैध धंधे बंद हो चुके है। क्राइम का ग्राफ नीचे गिरा है। कई गुंडे बदमाशों की धडपकड,तडीपार जैसे कठोर कार्रवाई की गई। कुछ पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया तो कुछ को तबादला किया। पुलिस विभाग में लगातार स्वच्छता अभियान चला रहे है। लेकिन यह बात कुछ सफेदपोश नेताओं को नागवार गुजरी। कुछ पुलिस वाले नेताओं के पास निलंबन व तबादला रद्द करने की पैरवी करने पहुंचे, या यूं कहे कि नेताओं की परिक्रमा करते नजर आए। नेता तो आखिर नेता होता है आश्वासन की घुटी पिलाना उसका काम होता है।
कुछ स्थानीय नेता,पदाधिकारी,कार्यकर्ता पुलिस आयुक्त के पास इस बारे में सिफारिश पत्र भी दिए है। इतना ही नहीं अजित पवार के नाम से तथाकथित स्वीय सहायकों से फोन करवाया,सिफारिश पत्र भेजवाते है। मतलब पुलिस आयुक्त के संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप करते हुए दबावतंत्र की नीति अपना रहे है। जबकि पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश पर किसी भी प्रकार का दबाव काम नहीं आता यह जगजाहिर है। ये सारी बातें पुणे के पालकमंत्री अजित पवार के कानों तक पहुंची। सबको यह भी पता है कि अजित पवार गलत कामों के लिए कभी भी किसी को फोन नहीं करते। लेकिन उनके नाम से फोन कराया जाता है,दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि अजित पवार ने पुलिस के मंच से कड़क शब्दों में संदेश देते हुए कहा कि वो पुलिस विभाग के साथ खडे है किसी के दबाव में आने की जरुरत नहीं। अगर किसी का फोन आता है तो बताओ ठीक कर देंगे।
असल में अजित पवार का यह संदेश पुलिस वालों के लिए नहीं था बल्कि उन सफेदफोश लोगों के लिए था जो ऐसे कार्यों में शामिल हैं। अब ये लोग सीधे अजित पवार के रडार पर है। दोबारा गलती की तो दुर्घटना घटी। सुनने में आया है कि जो सफेदपोश पुलिस वालों को आश्वासन देते थे अब उनसे दूरियां बना ली है।