पिंपरी(व्हीएसआरएस न्यूज) पिंपरी चिंचवड मनपा में सत्ता पर बैठी भाजपा ने स्मार्ट सिटी योजना के विभिन्न कार्यों में स्मार्ट चोरी करना शुरु की है। प्रशासन शिकायतों की ओर अनदेखी कर रहा है। स्मार्ट सिटी योजना के सभी कामों में जांच होनी चाहिए। ऐसी मांग शिवसेना महिला संगठन की जिला आयोजिका सुलभा उबाले ने शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे से की है। मुंबई में सुलभा शिंदे से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपी। एकनाथ शिंदे ने जांच करने का भरोसा दिया है। युवासेना के अंजिक्य उबाले भी उपस्थित थे।
स्मार्ट सिटी टेंडर के बजट में पांच साल के रख-रखाव के साथ बयलान कम्पनी के पानी के मीटर की खरीद दर 10 करोड़ रुपये है। हालांकि दर को समझौते में 81 करोड़ रुपये के रूप में दिखाया गया है। जबकि सर्वर रूम के लिए आवश्यक दो फायरवॉल एक ही कंपनी और मॉडल के हैं,एक की कीमत 66 लाख 42 हजार रुपये है और दूसरे की कीमत 6 करोड़ 6 लाख रुपये है। महिंद्रा कंपनी के दो 250 केवीए जनरेटर को 2 करोड़ 57 लाख रुपये की लागत से खरीदा गया है। केंद्र सरकार के पोर्टल पर दरें केवल 21 लाख रुपये हैं। स्मार्ट सिटी मोबाइल ऐप की अनुमानित लागत 62 लाख रुपये है। हालांकि समझौते में 18 करोड़ 88 लाख रुपये हैं। जल गुणवत्ता निगरानी के लिए समझौते में दरें 23 करोड़ हैं। जब किसी सलाहकार से सलाह लेने के बाद उत्पाद को अंतिम रूप दिया जाता है तो उत्पाद में तेल और ग्रीस का निर्माण नहीं होता है। इसलिए, वे कम गुणवत्ता वाले विक्रेता से थीसिस लेने की योजना बना रहे हैं, इसे उनसे नहीं ले सकते। 23 करोड़ अंक केवल 5 करोड़ रुपये में लिए जाएंगे।
कंपनी को 520 करोड़ रुपये के टेंडर के काम को समय पर पूरा नहीं करने के लिए एक मील के पत्थर की देरी का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि स्मार्ट सिटी के निदेशक मंडल की मंजूरी से लगभग 10 करोड़ रुपये की देरी दंड को 8 लाख से घटाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। निविदा को एक संयुक्त उद्यम कंपनी टेक महिंद्रा को प्रदान किया गया था जिसमें क्रिस्टल इंटीग्रेटेड सर्विसेज लिमिटेड और अरवास थे। चूंकि यह कम्पनी एक भाजपा विधायक के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए यह काम गलत तरीके से राजनीतिक दबाव का उपयोग किया जा रहा है। इस विषय पर हमें कई शिकायतें मिली हैं। यह देखते हुए हमने पालिकाको एक ई-मेल भी भेजा था।लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए इस पूरे काम की पूरी जांच की जानी चाहिए। तब तक कोई बिल का भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी मांग सुलभा उबाले ने अपने पत्र में की है।